हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,एक रिपोर्ट के अनुसार , इमाम जुमआ तेहरान हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लिमीन सैयद मोहम्मद हसन अबू तुराबी फ़र्द ने तेहरान यूनिवर्सिटी में नमाज़ ए जुमआ का खुत्बा देते हुए कहा कि हिज़बुल्लाह लेबनान के प्रतिरोधी नेता सैयद हसन नसरल्लाह के चालीसवें (चेहलुम) की मुनासिबत से ताज़ियत पेश करते हुए शहीद सैयद हसन नसरल्लाह ने रहबर ए इंकलाब ए इस्लामी हज़रत आयतुल्लाहिल उज़मा इमाम सैयद अली हुसैनी ख़ामेनेई के एक शक्तिशाली बाजू की हैसियत से क्षेत्र का राजनीतिक संतुलन बदलने में अहम भूमिका निभाई।
नमाज़ ए जुमआ तेहरान के खतीब ने आगे कहा कि शहीद हसन नसरल्लाह जैसे लोगों ने मकड़ी के जाले से भी कमजोर ग़ासिब यहूदी हुकूमत को ज़लील करने में अहम योगदान दिया।
इसके अलावा इस्माईल हनिया, सरदार सुलैमानी और यहिया अलसिनवार जैसे महान कमांडरों ने हमें यह सिखाया कि अल्लाह के हुक्म से छोटी टोलियाँ भी बड़े लश्करों पर ग़ालिब आ सकती हैं।
उन्होंने आगे कहा कि शहीद यहिया अलसिनवार ने आखिरी समय में एक लकड़ी से दुश्मन की ओर इशारा करते हुए उम्मत ए मुस्लिम और प्रतिरोधी मुजाहिदीन को बताया कि उनका मामूली हथियार दुश्मन के आधुनिक हथियारों को बेअसर कर सकता है।
हुज्जतुल इस्लाम अबू तुराबी फ़र्द ने यह भी कहा कि पिछले एक साल के दौरान ग़ाज़ा के लोगों पर 85 हज़ार टन बम और मिसाइल गिराए गए हैं, लेकिन ग़ज़ा के लोग अभी भी पहाड़ों की तरह डटे हुए हैं।