गुरुवार 5 दिसंबर 2024 - 23:35
हज़रत फातिमा (स) हर दौर के लिए आदर्श हैं, हक़ की समर्थन में कुर्बानी ज़रूरी है,मौलाना हसनैन बाकरी

हौज़ा / मौलाना हसनैन बाकरी ने कहा कि हज़रत फातिमा ज़हेराؑ का जीवन हर युग के लिए एक प्रेरणा है उन्होंने हक और सच्चाई के समर्थन में अपनी भूमिका और कुर्बानियों से पूरी इंसानियत को हक़ की राह दिखाई।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के छात्रों और पूर्व छात्रों ने पहली बार यूनिवर्सिटी में अज़ा ए फातिमीया का आयोजन किया,यह मजलिस 3 दिसंबर 2024 को बैतुस्सलाह में आयोजित हुई जिसमें लखनऊ के प्रतिष्ठित आलिम ए दीन मौलाना सैयद हसनैन बाकरी ने खिताब किया।

मजलिस में हज़रत फातिमा ज़हेरा स.अ.की शख्सियत उनके किरदार और उनकी कुर्बानियों पर रौशनी डाली गई इस मौके पर मौलाना ने इंसाफ और हक़ की राह में सब्र और त्याग का पैगाम दिया।

मजलिस की शुरुआत क़ुरआन पाक की तिलावत से हुई जो यूनिवर्सिटी की परंपरा के अनुसार हर कार्यक्रम में शामिल होती है।

यह तिलावत बीए (शिया थियोलॉजी) के छात्र क़ारी मोहम्मद अख्तर ने की इसके बाद जनाब दानिश ज़ैदी ने अपने भावपूर्ण अंदाज में सोज़ख़्वानी की जिसने पूरे माहौल को ग़मगीन कर दिया।

सोज़ख़्वानी के बाद एलएलएम (कानून) के छात्र रज़ा हैदर ज़ैदी ने हज़रत फातिमा स.ल.की शहादत के अवसर पर दर्दभरा कलाम पेश किया। इसके बाद मोहम्मद अख्तर ने सोज़ भरे अंदाज़ में सलाम पढ़ा जिसने मजलिस को और अधिक ग़म में डूबा दिया।

मौलाना सैयद हसनैन बाकरी ने अपने संबोधन में कहा कि हज़रत फातिमाؑ हर दौर के लिए आदर्श हैं। उन्होंने हमेशा हक़ का साथ दिया और बातिल को पहचानने का सबक दिया। मौलाना ने बीबी ज़हराؑ के फज़ाइल और उनकी कुर्बानियों का ज़िक्र करते हुए कहा कि हमें अपने जीवन में ऐसे कार्य करने चाहिए जो अल्लाह की रज़ा के लिए हों न कि सांसारिक लाभ के लिए।

उन्होंने इस्लाम के संदेश पर जोर देते हुए कहा कि इस्लाम न तो ज़ुल्म करने की इजाज़त देता है और न ही ज़ुल्म सहने की। यह हमें हमेशा अमन का पैगाम देता है। उन्होंने यह भी कहा कि किसी भी हालात में दीन को छोड़ा नहीं जा सकता चाहे मुश्किलें कितनी भी बड़ी क्यों न हों।

मौलाना ने बीबी फातिमाؑ की ज़िंदगी से प्रेरणा लेते हुए हक़ की समर्थन में कुर्बानी देने की आवश्यकता पर बल दिया और कहा कि हमें हमेशा सत्य और न्याय का साथ देना चाहिए।

अपने खिताब के बाद मौलाना ने हज़रत फातिमाؑ के मसाएब का बयान किया उन्होंने बताया कि कैसे बीबी दरबार गईं दरवाज़ा गिराया गया और इमाम अलीؑ का सब्र आज़माया गया उन्होंने जिक्र किया कि बीबी फातिमाؑ की पसलियां तोड़ी गईं, उनके पति के गले में रस्सी डाली गई, और उन्हें दरवाज़े और दीवार के बीच कुचल दिया गया। इस घटना में जनाब मोहसिनؑ शहीद हो गए और इस दर्द के बाद बीबी ज़हराؑ कभी मुस्कराईं नहीं।

इमाम अलीؑ ने बीबी ज़हराؑ की अंतिम रस्में रात की अंधेरी में अंजाम दीं ताकि उन्हें दुश्मनों से सुरक्षित रखा जा सके। यह तमाम घटनाएं दिलों को ग़म से भर देने वाली थीं।

मजलिस के अंत में रौनक़ अब्बास ने नौहा ख्वानी की जिसके बाद सभी अज़ादारों ने मिलकर मातम किया यह पहली बार था जब अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में अज़ाए फातिमी आयोजित हुई यह उम्मीद की जाती है कि यह सिलसिला भविष्य में भी जारी रहेगा।

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