हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार, निम्नलिखित रिवायत "वसाइल उश-शिया" पुस्तक से ली गई है। इस रिवायत का पाठ इस प्रकार है:
قال امیرالمؤمنين عليه السلام:
إنَّ المَرأَةَ ریحانَةٌ وَ لَیسَتْ بِقَهرَمانَةٍ، فَدارِها علی كُلِّ حالٍ وَ أَحسِنِ الصُّحَبَةَ لَها لِیَصفُو عَیشُكَ.
अमीरुल मोमिनीन हज़रत अली (अ) ने फ़रमाया:
औरत एक फूल की तरह (नाज़ुक) होती है, वह चालित या पहलवान नहीं होती। आपको उसके साथ हमेशा दयालुता और अच्छे व्यवहार से पेश आना चाहिए ताकि आपका जीवन खुशहाल हो जाए।
वसाइल उश-शिया, भाग 14, पेज 12
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