हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,एक रिपोर्ट के अनुसार आयतुल्लाहिल उज़्मा जवादी आमुली ने यूरोपीय देशों में प्रचार कार्य करने वाले प्रसिद्ध वक्ता हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लिमीन सैयद अली रज़ा रिज़वी से मुलाकात के दौरान कहा,इस्लाम सभी इंसानों को भाई मानता है और किसी का अपमान नहीं करता चाहे पश्चिमी शक्तियां हिंसा और रक्तपात को बढ़ावा देने की कितनी भी कोशिश करें।
उन्होंने धर्म के प्रचार की महत्ता पर जोर देते हुए कहा कि गैर इस्लामी देशों में छात्रों और आलिमों की जिम्मेदारी वही है जो पैग़ंबर मोहम्मद स.ल. के शुरुआती दौर में थी जैसे मक्का में इस्लाम धीरे-धीरे प्रकट हुआ उसी प्रकार अन्य देशों में कुरानी ज्ञान और इस्लामी विचारधारा के माध्यम से यह कार्य किया जाना चाहिए।
1. दीन की बुनियादी बातें और कुरान की शिक्षा:
आयतुल्लाह जवादी आमुली ने कहा कि धर्म के सिद्धांत और कुरान की सुदृढ़ शिक्षाओं को प्रचार की गतिविधियों का केंद्र होना चाहिए। इंसान को समझना चाहिए कि वह एक अनंत जीव है और उसके कर्म कभी व्यर्थ नहीं जाते।
2. मानव जीवन का उद्देश्य:उन्होंने कहा कि यदि पश्चिमी समाज यह समझ ले कि इंसान मौत के बाद समाप्त नहीं होता तो वह न खुद गलत रास्ते पर चलेगा और न ही दूसरों को रोकेगा।
3. दुनिया का संचालन,दुनिया का सुधार हत्या और रक्तपात से नहीं बल्कि शिक्षा और प्रशिक्षण से संभव है दुनिया का तंत्र न्याय बुद्धि और सुधार से चलता है न कि अन्याय भ्रम और हथियारों से।
छात्रों के लिए निर्देश,आयतुल्लाह ने छात्रों को यह हिदायत दी कि वे पश्चिमी समाज के शैक्षणिक संस्थानों और बौद्धिक केंद्रों से संपर्क स्थापित करें और कुरान और नहजुल बलागा के ज्ञान को बौद्धिक आवश्यकताओं के समाधान के रूप में प्रस्तुत करें।
यह विचार इस बात पर जोर देते हैं कि इस्लाम का असली संदेश न्याय, बुद्धिमत्ता और सुधार के माध्यम से समाज को बेहतर बनाना है।
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