हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,एक रिपोर्ट के अनुसार ,आयतुल्लाहिल उज़मा जवादी आमुली ने मस्जिदे आज़म क़ुम में हौज़ा के छात्रों और जनता को दिए गए अपने साप्ताहिक दर्स-ए-अख़लाक़ में नहजुल बलागा की हिकमत नंबर 151 की व्याख्या करते हुए कहा,अमीरुल मोमिनीन अ.स. ने फरमाया कि इंसान कोई मामूली मख़लूक़ नहीं है जो मौत के साथ खत्म हो जाए।
मौत खत्म होना नहीं है बल्कि एक दुनिया से दूसरी दुनिया की ओर स्थानांतरण है। इंसान के सभी अमल कर्म महफूज़ रहते हैं और खत्म नहीं होते।
उन्होंने कुरआन करीम का हवाला देते हुए कहा खुदा-ए-मुतआल फरमाता है कि "फरिश्ते इंसान के साथ होते हैं, वे न कभी सोते हैं और न ही ग़फ़लत करते हैं, और इंसान के सभी अच्छे या बुरे अमल को लिखते रहते हैं।
आयतुल्लाह जवादी आमुली ने आगे कहा,इंसान एक पेड़ की तरह है और उसके अमल उसके फल हैं। ये फल या तो मीठे होंगे या कड़वे। यह सब इंसान के अपने कर्मों पर निर्भर करता है।
उन्होंने यह भी कहा,जहन्नम का ईंधन जंगल या पेड़ नहीं हैं, बल्कि ज़ालिम इंसान खुद हैं। वे लोग जो दुनिया में ज़ुल्म करते हैं, जैसे कि इस्राइल और साइयोनिस्ट, या जो दूसरों के हक़ पामाल करते हैं, यही लोग जहन्नम का ईंधन बनेंगे।
उल्लेखनीय है कि उन्होंने अपने दर्स-ए-अख़लाक़ की शुरुआत में माहे रजब की आमद की मुबारकबाद देते हुए कहा,इस बरकत वाले महीने के फयज़, खास तौर पर एतिकाफ़ की बहुत ज्यादा अहमियत है, जिसका जितना हो सके, फायदा उठाना चाहिए।
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