हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,एक रिपोर्ट के अनुसार , हरम ए इमाम रज़ा अ.स.के ग़ैर-मुल्की ज़ायरीन के लिए बने विभाग की कोशिशों से हरम-ए-इमाम रज़ा (अ.स.) के रवाक-ए-दार-उर-रहमा में उर्दू ज़बान ज़ायरीन के लिए "उम्मत-ए-वाहिदा" के उनवान से एक महफ़िल-ए-क़ुरान का आयोजन किया गया इस महफ़िल में पाकिस्तान और भारत से आए ज़ायरीन ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया।
यह क़ुरानी इजलास हरम-ए-इमाम रज़ा (अ.स.) के ग़ैर-मुल्की ज़ायरीन विभाग के ज़ेरे-एहतिमाम, बर्रे सग़ीर (पाकिस्तान और भारत) के उर्दू बोलने वाले ज़ायरीन के लिए आयोजित किया गया।
यह प्रोग्राम फ़ी रिहाब अल-क़ुरान" के सिलसिले में हुआ, जिसमें पाकिस्तान और भारत से ताल्लुक रखने वाले 200 से ज़्यादा महिलाओं और पुरुषों ने हिस्सा लिया।
महफ़िल का आग़ाज़ जनाब सैयद इब्राहीम रिज़वी की ख़ूबसूरत आवाज़ में सूरा-ए-मुबारका फतह की तिलावत से हुआ। इस दौरान, महफ़िल में मौजूद लोगों ने इन आयात-ए-क़ुरानी को दोहराते हुए, मुसलमानों की कामयाबी और इस्लामी मक़ासिद की जीत के लिए दुआएं कीं।
हजतुल-इस्लाम वल मुस्लिमीन सैयद हैदर ज़ैदी ने इस महफ़िल में सूरा-ए-मुबारका फतह की मुख़्तसर तफ्सीर पेश की।
उन्होंने रहबर-ए-मुअज़्ज़म इंक़ेलाब-ए-इस्लामी हज़रत आयतुल्लाह अज़मा सैयद अली ख़ामेनई के नज़रिए से उम्मत की तामीर की अहमियत पर रोशनी डाली और फ़िलिस्तीन और लेबनान के मज़लूम अवाम की माली मदद की ज़रूरत को बयान किया।
महफ़िल के इख़्तिताम पर जनाब मोहम्मद आशूरी ने "सहीफ़ा सज्जादिया" की चौदहवीं दुआ की तिलावत की। इसके बाद उन्होंने इस्लामी मक़ासिद की फ़तह मज़ाहिमती महाज़ की कामयाबी और कुफ़्र इलहाद व इस्तेकबार की तबाही के लिए दुआएं मांगी।
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