बुधवार 1 जनवरी 2025 - 06:58
अल्लाह की ओर से क्षमा और दया

हौज़ा / यह आयत अल्लाह की क्षमा और दया की सीमा का वर्णन करती है और हमें आशा देती है कि यदि हम ईमानदारी से पश्चाताप करते हैं और अपनी कमजोरियों को स्वीकार करते हैं, तो अल्लाह हमें माफ कर देगा। यह नौकर को निराशा से बाहर निकालकर अल्लाह की दया की ओर मुड़ने के लिए आमंत्रित करता है।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी

بسم الله الرحـــمن الرحــــیم  बिस्मिल्लाह अल-रहमान अल-रहीम

فَأُولَٰئِكَ عَسَى اللَّهُ أَنْ يَعْفُوَ عَنْهُمْ ۚ وَكَانَ اللَّهُ عَفُوًّا غَفُورًا   फ़उलाएका असल्लाहो अय यअफ़ोवा अनहुम व कानल्लाहो अफ़ुव्वन ग़फ़ूरा (नेसा 99)

अनुवाद: ये वे लोग हैं जिन्हें ईश्वर शीघ्र ही क्षमा कर देगा, क्योंकि वह क्षमाशील और क्षमाशील है।

विषय:

अल्लाह की ओर से दया और क्षमा का संदेश

पृष्ठभूमि:

यह आयत सूर ए नेसा से है और उन लोगों के बारे में है जो बाधाओं या कमजोरियों के कारण अपने धार्मिक कर्तव्यों या प्रवास जैसे महत्वपूर्ण दायित्वों को पूरा करने में असमर्थ हैं। यह अल्लाह की दया और क्षमा की आशा का वर्णन करता है, खासकर उन लोगों के लिए जो अपने इरादों में ईमानदार हैं और परिस्थितियों की बाधाओं के बावजूद धर्म के प्रति अपनी प्रतिबद्धता बनाए रखते हैं।

तफ़सीर:

1. क्षमा का वादा: अल्लाह उन लोगों के लिए क्षमा का वादा करता है जो अपनी कमजोरियों के कारण पूरी तरह से आज्ञापालन नहीं कर सकते हैं, लेकिन उनके दिलों में अल्लाह का डर और ईमानदारी है।

2. अल्लाह के गुण: आयत में अल्लाह तआला के दो मुख्य गुणों का उल्लेख किया गया है, "अफू" (क्षमा करना) और "गफूर" (क्षमा करना)। ये विशेषताएँ यह स्पष्ट करती हैं कि अल्लाह की क्षमा उसकी दया का हिस्सा है, और एक सेवक के पाप उसकी क्षमा की सीमा को सीमित नहीं कर सकते।

महत्वपूर्ण बिंदु:

1. अल्लाह की रहमत पर उम्मीद: गुनाहों के बावजूद अल्लाह की मगफिरत का दरवाजा हमेशा खुला है, शर्त यह है कि इंसान तौबा कर ले और उसके दिल में ईमानदारी हो।

2. विकलांगता के संबंध में: यह श्लोक उन लोगों को सांत्वना देता है जो वास्तविक मजबूरी के कारण धार्मिक कर्तव्य निभाने में असमर्थ हैं।

3. अल्लाह के गुण क्षमा और मगफिरत: अल्लाह न सिर्फ गुनाहों को माफ करता है बल्कि इंसान के गुनाहों पर पर्दा भी डालता है।

परिणाम:

यह आयत अल्लाह की क्षमा और दया की सीमा का वर्णन करती है और हमें आशा देती है कि यदि हम ईमानदारी से पश्चाताप करते हैं और अपनी कमजोरियों को स्वीकार करते हैं, तो अल्लाह हमें माफ कर देगा। यह नौकर को निराशा से बाहर निकालकर अल्लाह की दया की ओर मुड़ने के लिए आमंत्रित करता है।

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सूर ए नेसा की तफ़सीर

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