हौज़ा न्यूज़ एजेंसी
بسم الله الرحـــمن الرحــــیم बिस्मिल्लाह अल-रहमान अल-रहीम
وَمَنْ يُهَاجِرْ فِي سَبِيلِ اللَّهِ يَجِدْ فِي الْأَرْضِ مُرَاغَمًا كَثِيرًا وَسَعَةً ۚ وَمَنْ يَخْرُجْ مِنْ بَيْتِهِ مُهَاجِرًا إِلَى اللَّهِ وَرَسُولِهِ ثُمَّ يُدْرِكْهُ الْمَوْتُ فَقَدْ وَقَعَ أَجْرُهُ عَلَى اللَّهِ ۗ وَكَانَ اللَّهُ غَفُورًا رَحِيمًا वमन योहाजिर फ़ी सबीलिल्लाहे यजिद फ़िल अर्ज़े मुराग़मन कसीरन वसअतन व मन यखरुज मिन बय्तेही मुहाजेरन इलल लाहे व रसूलेहि सुम्मा युदरिकहुल मौतो फ़कद वक़आ अजरोहू अलल्लाहे व कानल्लाहो ग़फ़ूरन रहीमा (नेसा 100)
अनुवाद: और जो कोई ख़ुदा की तरफ़ हिजरत करेगा, वह ज़मीन में बहुत से ठिकाने और विस्तार पाएगा, और जो कोई ख़ुदा और उसके रसूल की तरफ़ हिजरत करने की नियत से अपना घर छोड़ेगा, तो वह भी मर जाएगा, इसलिए अल्लाह उसे इनाम देगा और अल्लाह बड़ा क्षमा करने वाला, दयावान है।
विषय:
ईश्वर की राह में हिजरत: पुरस्कार, बलिदान और ईश्वर की दया
पृष्ठभूमि:
यह आयत मदनी काल में नाज़िल हुई। इस आयत का संदर्भ उन लोगों को प्रोत्साहित करना है जो विश्वास की रक्षा के लिए या अल्लाह की खातिर पलायन करते हैं। मक्का के शुरुआती मुसलमानों को गंभीर उत्पीड़न का सामना करना पड़ा, और मदीना में प्रवास करने का निर्णय उनके विश्वास की परीक्षा का हिस्सा था। भगवान ने उन्हें आश्वासन दिया कि प्रवासन एक महान पूजा का कार्य है और इसका इनाम भगवान के पास है।
तफ़सीर:
1. हिजरत का महत्व: इस आयत में हिजरत का उद्देश्य धर्म की सेवा और अल्लाह की प्रसन्नता बताया गया है। अल्लाह फ़रमाता है कि जो कोई उसकी राह में हिजरत करेगा, उसे ज़मीन में बहुत से ठिकाने और आराम मिलेंगे।
2. अल्लाह की राह में कुर्बानी: अल्लाह ने हिज्र को एक ऐसा अमल करार दिया है जिसका इनाम वह खुद लेगा और यह बहुत अच्छी खबर है.
3. मरने के बाद इनाम: अगर कोई शख्स हिजरत के दौरान मर जाता है तो अल्लाह उसका इनाम बर्बाद नहीं करेगा बल्कि उसका इनाम बरकरार रखा जाएगा।
महत्वपूर्ण बिंदु:
1. प्रवास आस्था की एक बड़ी परीक्षा है।
2. अल्लाह की राह में कुर्बानी का हर अमल सुरक्षित है, भले ही इंसान अपनी मंजिल तक न पहुंचे।
3. अल्लाह का क्षमाशील और दयालु होना उसके वादों को पूरा करने का प्रमाण है।
परिणाम:
अल्लाह की राह में हिजरत ईमान की शर्त है, जो इंसान को दुनियावी और आख़िरत में कामयाबी दिलाती है। अल्लाह प्रवासियों को इस दुनिया में शरण देता है और आख़िरत में बेशुमार इनाम देता है।
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सूर ए नेसा की तफ़सीर
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