हौज़ा न्यूज़ एजेंसी
بسم الله الرحـــمن الرحــــیم बिस्मिल्लाह अल-रहमान अल-रहीम
وَمَنْ يَعْصِ اللَّهَ وَرَسُولَهُ وَيَتَعَدَّ حُدُودَهُ يُدْخِلْهُ نَارًا خَالِدًا فِيهَا وَلَهُ عَذَابٌ مُهِينٌ वमन यअसिल्लाहा व रसूलहू व यतअद्दा हुदूदहू युदख़िल्हो नारन खालेदन फ़ीहा वलहू अज़ाबुम मोहीन ( नेसा, 14)
अनुवाद: और जो कोई ईश्वर और उसके दूत की अवज्ञा करेगा और इन सीमाओं का उल्लंघन करेगा, ईश्वर उसे नरक में प्रवेश देगा, और वह सदैव वहीं रहेगा, और उसके लिए शर्मनाक यातना है।
विषय:
अल्लाह और उसके रसूल की अवज्ञा करने और उसकी सीमाओं का उल्लंघन करने के परिणाम
पृष्ठभूमि:
सूरह अल-निसा की यह आयत उन नियमों और कानूनों के बारे में है जो अल्लाह ने मुसलमानों की सामाजिक व्यवस्था के लिए निर्धारित किए हैं। यह उन लोगों के भाग्य का वर्णन करता है जो अल्लाह और उसके दूत द्वारा निर्धारित कानूनों को तोड़ते हैं और उन सीमाओं का उल्लंघन करते हैं जो अल्लाह ने मानव जाति के लिए निर्धारित की हैं।
तफ़सीर:
अवज्ञा एक गंभीर मामला है, जिसका अंत आख़िरत में नरक की शाश्वत सज़ा है। इस आयत में अल्लाह द्वारा दिए गए नियमों और उनकी सीमाओं का उल्लंघन करने वालों के लिए सज़ा का वादा किया गया है। यह आयत एक चेतावनी के रूप में आती है कि मनुष्य को अल्लाह के नियमों का पालन करना चाहिए, अन्यथा उसका अंत बहुत दर्दनाक होगा।
1. अल्लाह की सीमाएं: अल्लाह द्वारा निर्धारित कानूनों की सीमाएं उन नियमों को संदर्भित करती हैं जो इस सांसारिक जीवन और उसके बाद मनुष्य की सफलता के लिए अनिवार्य हैं, जैसे विरासत के नियम, व्यभिचार के लिए सजा, हत्या और अन्य सामाजिक अपराध।
2. अवज्ञा: इस आयत में अल्लाह और उसके रसूल की अवज्ञा का जिक्र है, जो एक गंभीर अपराध है। इसमें न केवल सांसारिक जीवन की बुराइयों का उल्लेख है बल्कि परलोक में अनन्त दण्ड का भी वर्णन है।
3. खालिद फ़िहा: "हमेशा के लिए" का मतलब है कि जो लोग ये अपराध करेंगे उन्हें हमेशा के लिए नर्क में रखा जाएगा। इससे पता चलता है कि कुछ पाप इतने गंभीर हैं कि उनकी सज़ा कभी ख़त्म नहीं होगी।
महत्वपूर्ण बिंदु:
- अल्लाह और उसके रसूल की अवज्ञा करने का परिणाम आख़िरत में नरक की शाश्वत सज़ा है।
- अल्लाह द्वारा निर्धारित सीमाओं का उल्लंघन करना एक गंभीर अपराध है।
- जो लोग अल्लाह की सीमाओं का उल्लंघन करेंगे, उन्हें अपमान और अपमान का सामना करना पड़ेगा।
- यह अयातुल्ला के कानूनों के महत्व और उनका पालन करने की आवश्यकता पर प्रकाश डालता है।
परिणाम:
सूर ए नेसा की यह आयत स्पष्ट करती है कि अल्लाह और उसके रसूल की अवज्ञा करना और अल्लाह द्वारा निर्धारित सीमाओं का उल्लंघन करना एक ऐसा कार्य है जिसके परिणामस्वरूप इसके बाद नरक की अनंत सजा और इस दुनिया में अपमान और अपमान होगा। यह आयत ईमानवालों को चेतावनी देती है कि उन्हें अल्लाह की आज्ञाओं का पालन करने में सावधान रहना चाहिए और अल्लाह की सीमाओं का पालन करना चाहिए।
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तफ़सीर राहनुमा, सूर ए नेसा