हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार, बघरा/मुजफ्फरनगर. हर साल की तरह इस साल भी अराकीने अंजुमन आरफी की जानिब से दरगाहे आलिया बाबुल हवायेज बघरा मुजफ्फरनगर में जुमेरात 6 जून 2024 से इतवार 9 जून तक 4 रोज़ा सालाना इस्लाही मजलिसें हो रही हैं।
जुमेरात 6 जून 2024 को सुबह से रात तक मजलिसें हुई जिन्हे मौलाना ज़ाकिर हुसैन, मौलाना आलिम मेहदी, मौलाना क़ायेम मेहदी दाउदपुरी, मौलाना मेहदी हसन वाएज़, मौलाना असग़र महमूद, मौलाना हैदर रज़ा और मौलाना सैयद अली हाशिम आब्दी ने ख़ेताब किया।
6 जून की आखरी मजलिस में मौलाना सैयद अली हाशिम आब्दी ने इमाम मुहम्मद तक़ी अ०स० की हदीस "इख़्लास बेहतरीन इबादत है." को सरनामा ए कलाम क़रार देते हुए कहा: हर इबादत के क़ुबूल होने की पहली शर्त इख़्लास है, जिस तरह ग़ैर खालिस पानी से तहारत नहीं हो सकती वैसे ही बग़ैर इख़्लास के कोई अमल क़ुबूल नहीं होता।
मौलाना सैयद अली हाशिम आब्दी ने कहा कि इमाम मुहम्मद तक़ी अ०स० ने पैदा होते ही ज़बान पर कल्मा ए शहादतैन जारी किया, अल्लाह का ज़िक्र किया, 6 महीने की उम्र में गुफ्तुगू की और 20 महीने की उम्र में ख़ुत्बा दिया! मुनाज़ेरा करते हुए एक ही बैठक में हज़ारों सवालों के जवाब दिये कि दुश्मन अपनी हार मानने पर मजबूर हो गया।
मजलिसों में भारत के मुख़्तलिफ इलाक़ों से मोमनीन शामिल हो रहे हैं।
पिछले साल की तरह इस साल भी दफ्तर नुमायंदगी आयतुल्लाहिल उज़मा सीस्तानी द०ज़ि० लखनऊ के ज़ेरे एहतेमाम अराकीन ए अंजुमन आरफी बघरा मुजफ्फरनगर की ओर से दरगाहे आलिया बाबुल हवायेज़ बघरा मुजफ्फरनगर की सालाना इस्लाही मजलिसों के दौराना मोमनीन व ज़ायेरीन के शरई सवालात के जवाबात के लिये जुमेरात 6 जून 2024 से इतवार 9 जून तक चार रोज़ा शरई सवालात व जवाबात कैंप लगाया गया है।