मंगलवार 25 मार्च 2025 - 13:34
गुनहगार कभी भी अल्लाह की रहमत से निराश न हों

हौज़ा / मस्जिद ए मुक़द्दस जमकरान के ख़तीब ने कहा,गुनहगार अल्लाह की रहमत से निराश न हों अगर कोई गलती या गुनाह हो जाए तो इमाम-ए-ज़माना अ.ज. के दरबार में तौबा करें और उनसे दुआ की दरख़्वास्त करें कि वे ख़ुदा से आपके गुनाहों की माफ़ी माँगें।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार,हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लिमीन सैय्यद हुसैन मोमनी ने मस्जिद ए मुक़द्दस जमकरान में माह-ए-रमज़ान की 23वीं रात की महफ़िल में अपने ख़ुत्बे में कहा,अगर इंसान सच्चे दिल से नदामत (पछतावे) के साथ ख़ुदा के सामने तौबा करे तो उसकी तौबा ज़रूर क़ुबूल होती है।

रमज़ान की पवित्र रातों का महत्व,19वीं रात दुआ और इल्तिजा (विनती) की रात है,21वीं रात दुआ के स्थिर होने की रात, 23वीं रात, इमाम ए ज़माना अ.ज.के ज़रिए दुआओं पर मुहर लगने की रात

शब-ए-क़द्र का चमत्कार,इस एक रात में इंसान 80 साल के गुनाहों की तलाफ़ी (क्षतिपूर्ति) कर सकता है रिवायतों के अनुसार, जो कोई शब-ए-क़द्र में जागता है अल्लाह उसके सारे गुनाह माफ़ कर देता है। 

तौबा और मग़फ़िरत की दरख़्वास्त,गुनहगारों को चाहिए कि वे अल्लाह की रहमत से निराश न हों। इस मुबारक रात में इमाम-ए-ज़माना अ.ज. के दरबार में तौबा करें और उनसे दुआ की गुज़ारिश करें कि वे ख़ुदा से उनकी मग़फ़िरत की सिफ़ारिश करें। 

मुहासिबा की रात,शब-ए-क़द्र मुहासिब की रात है हमें अल्लाह से दुआ करनी चाहिए कि वह हमारे गुनाहों के बुरे असरात को हमसे दूर कर दे।हमें अपने जीवन का पांच चीज़ों के आधार पर मुहासिबा करना चाहिए,वाजिबात,मुहर्रमात,मुस्तहब्बात,अल्लाह के सामने इख़्लास

शब-ए-क़द्र अल्लाह की रहमत और मग़फ़िरत की रात है हमें इस मौक़े का फ़ायदा उठाकर सच्चे दिल से तौबा करनी चाहिए और अपने अमल का मुहासिबा करना चाहिए।

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