हौज़ा न्यूज़ एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, इमाम ज़माना (अ) के जन्म के दिनो के अवसर पर महदवीयत के मुद्दे के विशेषज्ञ हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लेमीन विशेषज्ञ मोहम्मद रजा फौआदियान ने हौज़ा मीडिया के साथ एक विशेष साक्षात्कार में महदीवाद के बारे में शंकाओं को स्पष्ट किया और उनका उत्तर दिया, जिसे विभिन्न मुद्दों को अपने प्रिय पाठको के समक्ष प्रस्तुत किया जाएगा।
सवाल:
मुंजी के इंतजार का लंबा होना समाज की प्रगति और विकास के लिए क्या फायदा देता है?
जवाब:
इस सवाल का जवाब देने के लिए हमें इंतजार के अलग-अलग पहलुओं और इसके फायदों पर ध्यान देना होगा।
इमाम सज्जाद (अ) एक महत्वपूर्ण हदीस में फ़रमाते हैं कि अल्लाह सच्चे इंतजार करने वालों को इतनी उच्च समझ और बुद्धि देता है कि उनके लिए ग़ैबत (गुप्तकाल) का समय वैसे ही महसूस होता है जैसे इमाम का हाजिर होना।
इंतजार, जीवन के सभी पहलुओं पर असर डालता है
यह हदीस यह बताती है कि सच्चे इंतजार करने वाले इतनी गहरी समझ और सूझ-बूझ रखते हैं कि वे इमाम के ग़ैबत के समय भी उनके अस्तित्व को महसूस करते हैं। इसलिए इमाम सज्जाद (अ) के अनुसार, "इंतजार करने वाले इस युग के सबसे श्रेष्ठ लोग हैं।"
इंतजार का असली मतलब एक बहुआयामी और गहरी अवधारणा है, जो इंसान के व्यक्तिगत और सामाजिक जीवन के हर पहलू को प्रभावित करता है।
सैन्यीय पहलू में सच्चे इंतजार करने वाले को हमेशा अपनी तत्परता बनाए रखनी चाहिए। यह तत्परता निष्क्रियता और घर में बैठकर एक हथियार रखने जैसा नहीं है, बल्कि यह निरंतर अपने रक्षा बलों को मजबूत करने की कोशिश है। जैसा कि क़ुरआन में कहा गया है: "وَأَعِدُّوا لَهُم مَّا اسْتَطَعْتُم مِّن قُوَّةٍ وَمِن رِّبَاطِ الْخَیْلِ व आइद्दु लहुम मस ततअतुम मिन क़ुव्वतिन व मिर रेबातिल ख़ैले और उनके लिए जितनी शक्ति और घोड़े की काठी तैयार कर सको तैयार करो" । यह आयत इस बात पर जोर देती है कि इंतजार करने वालों की सैन्य शक्ति हमेशा बढ़ती रहनी चाहिए।
सामाजिक पहलू में इंतजार व्यक्ति को एक पहचान और उद्देश्य प्रदान करता है। यह अवधारणा इतनी प्रभावशाली और गहरी है कि आजकल यह विभिन्न शैक्षिक क्षेत्रों में अध्ययन का विषय बनी हुई है।
कई अंतरविषयक शोध किए गए हैं जो बताते हैं कि इंतजार का व्यक्ति के मानसिक स्वास्थ्य और सामाजिक समस्याओं पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
हदीसों में यह भी कहा गया है कि सच्चे इंतजार करने वाले को बड़ा इनाम मिलता है। उदाहरण के लिए, जो इमाम ज़माना (अ) के इंतजार में हैं, वे उसी तरह हैं जैसे इमाम के खेमे में मौजूद व्यक्ति।
सच्चा इंतजार समाज को सक्रिय और गतिशील बनाता है
इंतजार, अपने सही अर्थ में, सामाजिक, सांस्कृतिक, राजनीतिक और आर्थिक क्षेत्रों में कई कार्य करता है। एक महत्वपूर्ण बात यह है कि हदीसों में इंतजार को "सबसे बेहतरीन काम" (अफ़ज़लुल आमाल) के रूप में प्रस्तुत किया गया है।
यह शब्द इस बात को दर्शाता है कि इंतजार केवल एक मानसिक स्थिति या विचार नहीं है, बल्कि यह एक क्रिया है, और सिर्फ कोई सामान्य क्रिया नहीं, बल्कि सबसे बेहतरीन कार्य है।
यदि कहा गया है "सबसे बेहतरीन काम इंतजार करना है" (अफ़ज़लुल आमाले इंतेज़ार अल फ़रज), तो इसका मतलब है कि इंतजार को केवल विचारों और भावनाओं तक सीमित नहीं किया गया, बल्कि यह एक क्रियात्मक रूप में दिखना चाहिए।
इंतजार का सही अर्थ है निरंतर प्रयास और सक्रियता। जैसा कि क़ुरआन में कहा गया है: "وَأَن لَّیْسَ لِلْإِنسَانِ إِلَّا مَا سَعَیٰ व इन्ना लैसा लिल इंसाने इल्ला मा साआ और इंसान को वही मिलता है जो उसने मेहनत की हो।"
इसलिए, सच्चा इंतजार यह नहीं है कि घर में बैठकर निष्क्रिय रूप से समय बिताया जाए, बल्कि यह प्रतीक है कि यह हमारी सभी क्रियाओं और व्यवहारों में प्रकट होना चाहिए।
कभी यह सवाल उठता है कि क्या इंतजार समाज में ठहराव नहीं लाता है?
जवाब यह है कि बिल्कुल उल्टा। आजकल कई किताबों में, जैसे "गतिशील इंतजार", यह बताया गया है कि सच्चा इंतजार न केवल ठहराव नहीं लाता, बल्कि यह समाज को सक्रिय और गतिशील बना देता है।
जब हम जानते हैं कि इमाम ज़माना (अ.) समाज को सुधारने के लिए आएंगे, तो हमारी जिम्मेदारी है कि हम उनके आगमन के लिए ज़मीन तैयार करें। एक सुधारक का इंतजार करने वाला खुद सुधारक होना चाहिए, जैसा कि क़ुरआन में कहा गया है:
"أَنَّ الْأَرْضَ یَرِثُهَا عِبَادِیَ الصَّالِحُونَ अन्नल अर्ज़ा यरेसोहा ऐबादेयस सालेहूना सिर्फ मेरे नेक बंदे ही इस भूमि के वारिस होंगे" इस दृष्टिकोण से इंतजार समाज को विकास, अच्छाई और समृद्धि की ओर मार्गदर्शन करता है।
यह सक्रिय और संरचनात्मक इंतजार ही समाज को इमाम के आगमन के लिए तैयार करने और वैश्विक न्यायपूर्ण राज्य की स्थापना की दिशा में मदद कर सकता है।
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