हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,लखनऊ 23 फरवरी 2025 | लखनऊ के ऐतिहासिक छोटा इमामबाड़ा में शहीद सय्यद हसन नसरुल्लाह और शहीद सय्यद हाशिम सैफुद्दीन के लिए ईसाले सवाब मजलिस का आयोजन शाम 4 बजे किया गया यह मजलिस उनकी शहादत को याद करते हुए उनकी रूह की शांति और उच्च मकाम की दुआ के लिए आयोजित की गई थी।
शहीद सय्यद हसन नसरुल्लाह और शहीद सय्यद हाशिम सैफुद्दीन ने इस्राइल-फिलिस्तीन युद्ध के दौरान अपनी जान कुर्बान करके इस्लाम और मानवता व मज़लूमो की रक्षा के लिए अमर बलिदान दिया। उनकी शहादत ने पूरी दुनिया को उनके साहस, निष्ठा और बलिदान की मिसाल दी है।
मजलिस का संचालन मौलाना सय्यद सक़लैन बाक़री साहब ने किया मौलाना सय्यद मंजर सादिक जैदी साहब ने तक़रीर करते हुए फ़रमाया के हसन नसरुल्लाह और सय्यद हाशिम सैफुद्दीन ने शहादत अपने ज़ाती मफ़ादात के लिए नहीं दी थी बल्कि इमाम हुसैन अ.स. के रास्ते पर चलते हुए इंसानियत की हिफाज़त के लिए दी थी और यही वजह है के उनके जनाज़े में दुनिया भर के लोग शामिल हो रहे हैं |
वहीँ मौलाना सय्यद हसनैन बाकरी साहब ने अपनी तक़रीर में शहीद और शहादत को बयान करते हुए फ़रमाया के जो लोग इंसानियत के लिए अल्लाह की राह में अपनी जान का नज़राना पेश करते हैं उन्हें शहीद कहा जाता है उन्ही शख्सियतों में सय्यद हसन नसरुल्लाह भी थे जिन्ही ने अपनी पूरी ज़िन्दगी अपने मुल्क , क़ौम और इंसानियत की खिदमत की और ज़ालिम और बातिल ताक़तों से टकराते रहे और आज भी उनकी शहादत के बाद उनका मिशन ज़िंदा है|
मौलाना अली अब्बास खान साहब ने मजलिस को खिताब करते हुए फ़रमाया के शहीद हसन नसरुल्लाह और शहीद हाशिम सैफुद्दीन आज भी हमारे बीच ज़िंदा हैं | दुश्मन इंसान को मार सकता है लेकिन उसकी सोच को नहीं मारा जा सकता है और इन दोनों शहीदों ने जो इंसानियत की खिदमत की है उसकी मिसाल नहीं मिलती है और सुबहे कयामत तक इसे याद किया जायेगा |
कार्यक्रम में मौलाना साबिर अली इमरानी साहब और जनाब शबीहुल हसन जौनपुरी साहब ने अपने कलाम और शायरी के माध्यम से शोहादा-ए-कर्बला और फिलिस्तीन के संघर्ष को याद किया। प्रोग्राम में शहर के तमाम उलेमा , खोतबा और दानिश्वर हज़रात और अंजुमन हाय मातमी मौजूद रही |
ये प्रोग्राम लखनऊ शहर की मुख्तलिफ तंज़ीमों की जानिब से अंजाम दिया गया जिसमे ऐनुल हयात ट्रस्ट , मजलिसे उलेमा ए हिन्द , शिया उलेमा असेम्ब्ली , विलायत एजुकेशनल एंड वेलफेयर ट्रस्ट , हैदरी एजुकेशनल एंड वेलफेयर सोसाइटी , ताहा फाउंडेशन, इदारे इल्मो दानिश आदि हैं | प्रोग्राम के आखिर में हिंदुस्तान में अमन और चैन की दुआ की गयी की हम सभी से अनुरोध करते हैं कि वे शहीदों की रूहों के लिए दुआ करें और उनके बलिदान को याद करते हुए मानवता और न्याय के मार्ग पर चलने का संकल्प लें।
आपकी टिप्पणी