हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार,स्वर्गीय आयतुल्लाहिल उज़्मा अलवी गुरगानी र.ह.का रमज़ान के दरस में सूरह निसा की आयत 66 की तफ़्सीर
"وَلَوْ أَنَّا كَتَبْنَا عَلَيْهِمْ أَنِ اقْتُلُوا أَنْفُسَكُمْ أَوِ اخْرُجُوا مِنْ دِيَارِكُمْ مَا فَعَلُوهُ إِلَّا قَلِيلٌ مِنْهُمْ ۖ وَلَوْ أَنَّهُمْ فَعَلُوا مَا يُوعَظُونَ بِهِ لَكَانَ خَيْرًا لَهُمْ وَأَشَدَّ تَثْبِيتًا"
अल्लाह तआला इस आयत में फरमा रहा है कि हमने इन पर कोई असहनीय आदेश नहीं लगाया अगर (पिछली उम्मतों की तरह) हम इन्हें यह हुक्म देते कि वे खुद को क़त्ल कर लें या अपने घरों से बाहर निकल जाएं, तो बहुत ही कम लोग इस पर अमल करते। लेकिन अगर वे इन नसीहतों पर अमल करते तो यह उनके लिए बेहतर होता और उनके ईमान को और मजबूत करता।
आज़माइश की हकीकत
अमीरुल मोमिनीन हज़रत अली (अ.स.) फरमाते हैं,अल्लाह इंसानों को अलग-अलग तरीकों से आज़माता है कभी नेमतों के ज़रिए, कभी सूखे और क़हत के ज़रिए, और कभी ग़रीबी और तंगी के ज़रिए, ताकि यह देखा जा सके कि कौन अल्लाह की इताअत और फ़रमाँबरदारी करता है।
एक हकीकी वाकया
हज़रत इमाम मोहम्मद बाकिर (अ.स.) एक रिवायत में बयान फरमाते हैं कि बनी इस्राईल के एक नबी एक मक़ाम से गुज़रे, जहां उन्होंने एक ऐसे आदमी को देखा जिसका आधा जिस्म दीवार के अंदर था और बाकी जिस्म को दरिंदे नोंच रहे थे वह नबी हैरान हुए कि यह आदमी मोमिन था और उसके दिल में रत्ती भर भी शिर्क नहीं था फिर भी उसे यह सज़ा क्यों मिल रही थी?
जब वह नबी शहर में दाखिल हुए तो उन्होंने देखा कि एक ज़ालिम इंसान की मौत पर पूरा शहर उसके जनाज़े में शरीक था। नबी ने अल्लाह तआला से इस मामले की हकीकत जानने की दुआ की अल्लाह ने जवाब में फरमाया,यह मोमिन कुछ गुनाहों का मुजरिम था मैंने चाहा कि उसे दुनिया में ही उसकी सज़ा दे दूं ताकि वह क़यामत में पाक होकर मेरे सामने पेश हो। और वह ज़ालिम शख्स अगरचे बुरा था लेकिन उसके कुछ अच्छे आमाल भी थे मैंने चाहा कि उसकी जज़ा उसे दुनिया में ही दे दूं ताकि क़यामत के दिन उसके पास कोई दावेदारी न बचे।
दुनियावी आज़माइश और असली कामयाबी
स्वर्गीय आयतुल्लाह अलवी गरगानी (र.ह.) ने फरमाया,हमें बसीरत और होशियारी के साथ जिंदगी गुजारनी चाहिए और सिर्फ़ दुनियावी ख़्वाहिशात में ग़र्क़ होने से बचना चाहिए इस बारे में हज़रत अली (अ.स.) फरमाते हैं,हम तुम्हें आज़माएंगे ताकि यह मालूम हो कि क़यामत के दिन तुम में से कौन असली कामयाबी हासिल करता है।
अल्लाह की मोहब्बत और कामयाबी का रास्ता,अल्लाह तआला अपने बंदों से बहुत मोहब्बत करता है। अगर कोई इस मोहब्बत का वफ़ादार रहे तो वह दुनिया में भी बेहतरीन ज़िंदगी गुज़ारेगा और आख़िरत में भी बुलंद मक़ाम पाएगा इसलिए ज़रूरी है कि हम अल्लाह अंबिया (नबी) और आइम्मा ताहिरीन (अ.स.) की तालीमात पर अमल करें ताकि क़यामत के दिन कामयाबी हमारी तक़दीर बने।
आपकी टिप्पणी