۱۱ تیر ۱۴۰۳ |۲۴ ذیحجهٔ ۱۴۴۵ | Jul 1, 2024
मौलानी अली हाशिम आब्दी

हौज़ा / इमाम मोहम्मद तक़ी अलैहिस्सलाम ने फरमाया: लोगों से बेनियाज़ी में मोमिन की इज्जत है।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार, बघरा/मुजफ्फरनगर. दरगाहे आलिया बाबुल हवाएज  बघरा की मस्जिद में जुमा 7 जून 2024 को नमाजे जुमा मौलाना सैयद अली हाशिम आब्दी की इक़्तेदा में हुई!
मौलाना सैयद अली हाशिम आब्दी ने नमाजे जुमा के पहले ख़ुत्बे में सूरह आले इमरान की आयत 102 "ईमान वालो! अल्लाह से इस तरह डरो जो डरने का हक़ है और खबरदार उस वक्त तक ना मरना जब तक मुसलमान ना हो जाओ!" को बयान करते हुए कहा: ईमान के बाद अल्लाह ने तक़्वे का हुक्म दिया है वह भी उस तक़वे का जो तक़्वे का हक़ है। सिर्फ तक़्वा अख़्तेयार कर लेना काफी नहीं है बल्कि जिंदगी भर उस पर बाक़ी रहना है, जैसा कि सूरह फुस्सिलत की आयत 30 में इरशाद हो रहा है। "बेशक जिन लोगों ने यह कहा कि अल्लाह हमारा रब है और इस पर जमे रहे उन पर फ़रिश्ते यह पैग़ाम लेकर नाज़िल होते हैं कि डरो नहीं और रंजीदा भी ना हो और उस जन्नत से खुश हो जाओ जिसका तुमसे वादा किया जा रहा है।" यानी सिर्फ ईमान और अमल को हासिल कर लेना काफी नहीं है बल्कि उस पर बाकी रहना भी ज़रूरी है। आज हमारे नवें इमाम की शहादत की तारीख जिनका मशहूर लक़ब तक़ी है. इमाम मोहम्मद तक़ी अलैहिस्सलाम ने फरमाया: लोगों से बेनियाज़ी में मोमिन की इज्जत है!
मौलाना सैयद अली हाशिम आब्दी ने नमाजे जुमा के दूसरे ख़ुत्बे में रसूलुल्लाह स. अ. की मशहूर हदीस "इल्म हासिल करना हर मुसलमान मर्द और औरत का फरीज़ा है।" को बयान करते हुए कहा: इस्लाम दुनिया का अकेला दीन है जिसने इल्म हासिल करने को लोगों का हक़ नहीं बल्कि उसे फरीज़ा बताया है,  इंसान उस वक्त गुमराह होता है जब वह नहीं जानता और न जानने वाले ही को गुमराह किया जा सकता है, जो इंसान नहीं जानता अगर वह खामोश रहे तो कोई फित्ना व फसाद और एख़्तेलाफ नहीं होगा जैसा कि इमाम मुहम्मद तक़ी अलैहिस्सलाम ने फरमाया: "अगर जाहिल ख़ामोश हो जाये तो लोगों में कोई एख़्तेलाफ न हो" आज सारा एख़्तेलाफ सिर्फ इस वजह से है कि ना जानने वाला बोलता है और जानने वाला खामोश रहने में ही अपना भला समझता है!

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