शनिवार 12 अप्रैल 2025 - 11:22
ईरान हमेशा से मज़लूमो का रक्षक रहा है और ईरान ने कभी युद्ध शुरू नहीं कियाः आयतुल्लाह सय्यद मुज्तबा हुसैनी

हौज़ा / इराक़ मे सर्वोच्च नेता के प्रतिनिधि आयतुल्लाह सय्यद मुज्तबा हुसैनी ने अपने बयान में कहा कि ईरान हमेशा पीड़ितो का समर्थन करता है और इस्लामी क्रांति की शुरुआत से कभी भी युद्ध शुरू नहीं किया है।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार, इराक़ मे सर्वोच्च नेता के प्रतिनिधि आयतुल्लाह सय्यद मुज्तबा हुसैनी ने अपने बयान में कहा कि ईरान हमेशा पीड़ितो का समर्थन करता है और इस्लामी क्रांति की शुरुआत से कभी भी युद्ध शुरू नहीं किया है।

उन्होंने क्षेत्रीय और वैश्विक घटनाओं का उल्लेख करते हुए कहा कि ईरान हमेशा नैतिकता, न्याय और शांति के सिद्धांतों का पालन करता रहा है। उन्होंने जोर देकर कहा कि ईरान हमेशा पीड़ितों का समर्थन करता है, अत्याचार को रोकने और पीड़ित राष्ट्रों की रक्षा करने के लिए उनके साथ खड़ा रहता है।

ईरान ने फिलिस्तीन, लेबनान, सीरिया और बोस्निया जैसे देशों की मदद उनकी अपील पर की है। यह सहायता युद्ध के लिए नहीं बल्कि अत्याचारियों के खिलाफ वैध रक्षा के रूप में थी।

आयतुल्लाह हुसैनी ने कहा कि इस्लामी क्रांति की शुरुआत से ही अमेरिका ने ईरान के प्रति शत्रुतापूर्ण रवैया अपनाया है। अमेरिका कभी भी निष्पक्ष बातचीत के लिए तैयार नहीं हुआ और हमेशा अपनी इच्छा थोपने की कोशिश करता रहा है। उन्होंने जोर देकर कहा: अमेरिका न केवल न्यायपूर्ण बातचीत के लिए तैयार नहीं है, बल्कि वह मूल रूप से देशो के आत्मसमर्पण की मांग करता है, न कि उनके साथ रचनात्मक संवाद करने की कोशिश करता है। और अमेरिका की ईरान के साथ शत्रुता केवल इस कारण है कि ईरान उनकी दमनकारी नीतियों के खिलाफ प्रतिरोध करता है।

उन्होंने स्पष्ट किया कि ईरान युद्ध नहीं चाहता, लेकिन अपने अधिकारों से पीछे नहीं हटेगा। उन्होंने परमाणु ऊर्जा के सैन्य उपयोग को हराम (निषिद्ध) बताते हुए कहा कि वैज्ञानिक और तकनीकी विकास हर स्वतंत्र देश का अधिकार है।

सर्वोच्च नेता के प्रतिनिधि ने पश्चिमी देशों द्वारा ईरान पर दबाव डालने की आलोचना करते हुए कहा कि वे ईरान की रक्षा क्षमता को कमजोर करना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि ईरान कभी भी अपनी रक्षा शक्ति को छोड़ने वाला नहीं है, क्योंकि यह उसकी सुरक्षा के लिए आवश्यक है।

उन्होंने अमेरिका को दुनिया में सबसे बड़ा परमाणु हथियार धारक बताते हुए उसकी आलोचना की और कहा कि वह अन्य देशों के अधिकारों का विरोध करने का नैतिक अधिकार नहीं रखता। उन्होंने जोर देकर कहा कि ईरान हमेशा न्याय, शांति और सहयोग का समर्थक रहा है।

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