सोमवार 12 मई 2025 - 12:16
ग़दीर ख़ुम ने मानवता के लिए इमामत और हिदायत का रास्ता तय किया: हुज्जतुल इस्लाम रज़ा हुसैन ज़ादेह

हौज़ा / हुज्जतुल इस्लाम रज़ा हुसैन ज़ादेह ने फरमाया,ग़दीर ख़ुम ने मानवता के लिए सच्चे मार्गदर्शन और इमामत की दिशा निर्धारित की और न्याय व ईमान का एक नया अध्याय आरंभ किया।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार,हुज्जतुल इस्लाम रज़ा हुसैन ज़ादेह ने फरमाया,ग़दीर ख़ुम ने मानवता के लिए सच्चे मार्गदर्शन और इमामत की दिशा निर्धारित की और न्याय व ईमान का एक नया अध्याय आरंभ किया।

रज़ा हुसैन ज़ादेह ने कहा कि ग़दीर ख़ुम कोई साधारण ऐतिहासिक घटना नहीं, बल्कि मानवता के मार्गदर्शन की रूपरेखा तय करने वाला एक केंद्रीय बिंदु है। यह वह स्थान है जहां नुबूवत (पैग़म्बरी) से विलायत का ऐलान हुआ और इंसानियत के लिए नई राह खुली न्याय और ईमान की।

उन्होंने कहा कि पैग़म्बर इस्लाम सल्लल्लाहु अलैहि व आलिही वसल्लम ने अल्लाह के आदेश पर ग़दीर के मैदान में अली (अ.स) का हाथ उठाकर कहा:
"من كنت مولاه فهذا علي مولاه"

यह कोई राजनैतिक नियुक्ति नहीं थी, बल्कि एक आसमानी हकीकत का ऐलान था। जैसे पैग़म्बर ने पहले कहा था।
الست أولی بکم من أنفسکم?"
(क्या मैं तुमसे नफ्स पर ज़्यादा हक़दार नहीं हूँ?), उसी का विस्तार था अब यह विलायत हज़रत अली (अ.स) में प्रकट हुई।

इमामत, नुबूवत का ही विस्तार है। इमाम, मोमिनों के दिलों और जानों का मालिक होता है। इसलिए पैग़म्बर ने सिर्फ यह नहीं कहा कि अली से मुहब्बत करो, बल्कि कहा कि वह तुम्हारे मौला हैं।

ग़दीर का महत्व इस में है इसमें विलायत अली (अ.स) का स्पष्ट ऐलान हुआ।हज़ारों सहाबा ने पैग़म्बर का यह बयान सुना और स्वीकार किया।

यह घटना इतिहास में हमेशा के लिए नूर बनकर चमकी, भले ही समय ने अली को खामोश कर दिया।

उन्होंने कहा कि ग़दीर से कर्बला और फिर ज़ुहूर (इमाम मेहदी का आगमन) तक एक ही रास्ता है इमामत का रास्ता, तौहीद का रास्ता, अली (अ.स) का रास्ता।

ग़दीर का संदेश आज भी ज़िंदा है, और हर वह इंसान जो नूर से जुड़ना चाहता है, उसे ग़दीर से जुड़ना होगा। यह सिर्फ अतीत की घटना नहीं, बल्कि हमारी जिम्मेदारी और मिशन है कि इस संदेश को एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक पहुंचाएं।

अंत में उन्होंने कहा,ग़दीर आईना है जिसमें हम अपनी असलियत देखते हैं। अली (अ.स) हमारे दिलों के मौला हैं। हमें पूरे यक़ीन से कहना चाहिए
'من کنتَ مولاه، فهذا علی مولاه'!"

टैग्स

आपकी टिप्पणी

You are replying to: .
captcha