बुधवार 28 मई 2025 - 15:23
सुप्रीम लीडर का पैग़ाम हौज़ा ए इल्मिया के लिए एक नए अध्याय की हैसियत रखता हैः आयतुल्लाह आराफ़ी

हौज़ा / हौज़ा ए इल्मिया के निदेशक ने इस्लामी शिक्षाओं की रक्षा में हौज़ात ए इल्मिया की ऐतिहासिक भूमिका की ओर इशारा करते हुए कहा,क़ुम ने पिछले सौ वर्षों में हौज़ात ए इल्मिया में बदलाव की एक नई इबारत लिखी है हज़रत आयतुल्लाह खामेनई का हालिया पैग़ाम भी हौज़ा ए इल्मिया के लिए एक नए दौर की शुरुआत है, जिस पर पूरी गंभीरता और तवज्जोह देना ज़रूरी है।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार, हौज़ा ए इल्मिया के निदेशक आयतुल्लाह अली रज़ा आराफ़ी ने ईरान के शहर किरमान में "तरक़्क़ीपसंद और विशिष्ट हौज़ा" के शीर्षक से आयोजित एक सम्मेलन में किरमान के हौज़ात ए इल्मिया के निदेशकों और उस्तादों को संबोधित करते हुए इस्लामी क्रांति के इतिहास में किरमान प्रांत की विशेष अहमियत का उल्लेख किया और इस क्षेत्र को प्राकृतिक और मानवीय दृष्टि से विशिष्ट संसाधनों से भरपूर बताते हुए शहीद हाज क़ासिम सुलेमानी और अन्य शहीदों की सेवाओं को श्रद्धांजलि अर्पित की हैं।

उन्होंने इस्लाम और इस्लामी क्रांति के परिप्रेक्ष्य में किरमान की अद्वितीय भूमिका की ओर इशारा करते हुए कहा,किरमान ने शहीद सरफ़राज़ हाज क़ासिम सुलेमानी के पवित्र ख़ून की बरकत से मुक़ावमती राजधानी का महान ख़िताब हासिल किया है।

सुप्रीम लीडर का पैग़ाम हौज़ा ए इल्मिया के लिए एक नए अध्याय की हैसियत रखता है। आयतुल्लाह आराफ़ी

आयतुल्लाह आराफ़ी ने अपने बयान के एक और हिस्से में शहादत के दिनों में इमाम जवाद अ.स. की शहादत की ताज़ियत पेश की और इमाम रज़ा (अ.स.) की ईरान में ऐतिहासिक भूमिका की ओर इशारा करते हुए कहा,ख़ुरासान में इमाम रज़ा (अ.स.) की दो वर्षों की मौजूदगी इमामत व विलायत के इतिहास में एक बेनज़ीर दौर है, जिसने अब्बासी खलीफ़ा मामून की जटिल रणनीति को नाकाम बना दिया।

उन्होंने कहा,हौज़ात ए इल्मिया का इतिहास हमारे उलमा और बुज़ुर्गों की अनथक मेहनत से भरा हुआ है, जो आज और आने वाले कल की हमारी कोशिशों के लिए प्रेरणा का स्रोत होना चाहिए इसी सिलसिले में रहबर-ए-मोअज़्ज़म का पैग़ाम हौज़ा ए इल्मिया के लिए एक नए अध्याय की हैसियत रखता है।

हौज़ा ए इल्मिया के निदेशक ने प्राचीन हौज़ा की पुनः स्थापना को 14वीं सदी हिजरी की शुरुआत से जोड़ते हुए कहा,इस दौर में हौज़ा ए इल्मिया क़ुम ने तीन महत्वपूर्ण चरण तय किए हैं, इस्लामी आंदोलन से पहले का दौर, आंदोलन के बाद का दौर, और इस्लामी क्रांति के बाद का दौर।

आयतुल्लाह आराफ़ी ने क़ुम की 1200 साल पुरानी तारीख़ को इस्लामी सोच और विचार के महत्वपूर्ण केंद्रों में से एक बताया और कहा, पिछले 100 वर्ष हौज़ा ए इल्मिया की तरक़्क़ी और विकास का एक बिल्कुल नया अध्याय माने जाते हैं।

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