हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,ईरान की इस्लामी क्रांति के सुप्रीम लीडर ने मंगलवार की सुबह ईदे ग़दीर के अवसर पर हज़ारों लोगों को संबोधित करते हुए ग़दीर की घटना को इस्लामी शासन की निरंतरता के लिए भूमि प्रशस्त करना और इस्लामी जीवन शैली के आदर्श की निरंतरता बताया।
सप्रीम लीडर ने हज़रत इमाम अली अ.स.के कुछ गुणों की ओर इशारा करते हुए कहाः इस्लामी व्यवस्था का लोकप्रिय होना और देश के भविष्य निर्धारण में हर व्यक्ति की भूमिका के महत्व को हमने अपने मौला से सीखा है।
शुक्रवार को आयोजित होने वाले राष्ट्रपति चुनावों का ज़िक्र करते हुए इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनई ने कहाः जो कोई एक शक्तिशाली और सिर बुलंद ईरान चाहता है, और जो कोई भी मौजूदा व्यवस्था का समर्थक है, उसे चुनाव में अपने मत का इस्तेमाल करना चाहिए।
पार्सटुडे की रिपोर्ट के मुताबिक़, सुप्रीम लीडर ने ईरानी राष्ट्र और सभी मुसलमानों को इस्लाम की सबसे बड़ी ईद की मुबारकबाद दी और इस अवसर पर सार्वजनिक जगहों पर जश्न के आयोजन की सराहना की। उन्होंने कहा कि इससे मोमिनों को ख़ुशी प्राप्त होती है, तो काफ़िर निराश होते हैं। क्योंकि यह वह दिन है, जिस दिन इस्लाम को शिकस्त देने की इच्छा रखने वाले काफ़िर निराश हो गए और पैग़म्बरे इस्लाम (स) ने इस दिन हज़रत अली (अ) को अपना उत्तराधिकारी और ख़लीफ़ा घोषित किया।
उन्होंने पैग़म्बरे इस्लाम (स) द्वारा अपने उत्तराधिकारी और इमामत की घोषणा करने के ईश्वर के आदेश के प्रकाश में इस्लाम के राजनीतिक शासन की निरंतरता को काफ़िरों की निराशा का कारण बताया और कहाः इस्लामी शासन और राजनीति की निरंतरता, जो इमामत में प्रकट होती है, इस्लाम की भावना की निरंतरता है।
इस्लामी क्रांति के नेता ने इमामत के स्थान को ईश्वरीय पैग़म्बरों के सबसे महत्वपूर्ण कर्तव्यों में से एक बताया और कहाः रिसालत के मिशन में, ईश्वरीय दूत लोगों के लिए भगवान की आज्ञाओं को व्यक्त करते हैं, लेकिन इमामत के मिशन में, ईश्वर के आदेशों को लोगों के दिलों और विचारों में उतारा जाता है और उनके कार्यों में उन्हें व्यवहारिक बनाया जाता है।
आयतुल्लाह ख़ामेनई ने इमामत और विलायत की रोशनी में इस्लामी शासन की निरंतरता को इस्लामी जीवन शाली की निरंतरता का कारण बताया और कहाः इमामों के 250 साल के प्रयासों और संघर्षों का लक्ष्य, जिसे बाद में कुछ शिया बुज़ुर्ग हस्तियों ने भी अपनाया और जो इमाम ख़ुमैनी और ईरानी राष्ट्र के प्रयासों से वर्तमान युग में भी जारी है, इस्लामी शासन है, जो समाज में इस्लामी जीवन शैली के विस्तार का कारण बनता है।
इस्लाम की जीवन शैली के मुख्य बिंदुओं को समझाते हुए उन्होंने न्याय, काफ़िरों के साथ सख़्ती, एक दूसरे के प्रति दया, शासक द्वारा समाज के लोगों की पीड़ा और कठिनाई को समझना और इस्लामी शासन के साथ लोगों का सहयोग, आज्ञाकारिता और मदद का उल्लेख करते हुए कहाः ग़दीर इस्लामी जीवन की इन उत्कृष्ट पंक्तियों की प्राप्ति की नींव है, और इस दृष्टिकोण से, यह सभी इस्लामी मतों के लिए एकता का स्रोत हो सकती है, और इसे शियाओं और सुन्नियों के बीच मतभेद का बिंदु नहीं बनाना चाहिए।
अपने भाषण के दूसरे भाग में, इस्लामी क्रांति के सुप्रीम लीडर ने हज़रत इमाम अली (अ) के गुणों का उल्लेख करते हुए कहाः बुद्धि और इंसानों के व्यापक विचार, मौला अली (अ) की आध्यात्मिक सुंदरता और स्थान को समझने में सक्षम नहीं हैं। ईश्वर के महान आशीर्वादों में से एक नहजुल-बलाग़ा का ज़िक्र करते हुए उन्होंने कहा कि यह केवल शियाओं के लिए नहीं है, कोई भी अमीरुल मोमेनीन से मूल बातें, मानदंड और तरीक़े सीख सकता है और उनके गुणों से परिचित हो सकता है।
नहजुल-बलाग़ा का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि हज़रत अली (अ) के सभी गुण शीर्ष पर थे। हर तरह की निराशा और संदेह से मुक्त यक़ीन की हालत में होना, प्रत्येक धर्म और मज़हब के लोगों के प्रति संवेदनशील होना, अवर्णनीय न्याय, दुश्मन की ज़ाहरी नरमी से धोखा नहीं खाना और उसके सामने पूरी तरह से सतर्क रहने को सुप्रीम लीडर ने हज़रत अली बिन अबी तालिब (अ) के सबसे प्रमुख गुणों में शुमार किया।
सुप्रीम लीडर ने सरकार की लोकप्रियता और जनता और शासक के पारस्परिक अधिकारों में गहरी आस्था को भी हज़रत अली (अ) का गुण बताया और कहाः हमने अपने मौला से और क़ुरान से सीखा है कि इस्लामी व्यवस्था पूर्ण रूप से लोकप्रिय होनी चाहिए। लेकिन कुछ लोग ग़लत कहते हैं कि इस्लामी गणतंत्र ने चुनाव और लोकतंत्र को पश्चिम से लिया है।
उन्होंने लोगों की बातों और सलाह के महत्व पर बल देते हुए कहा कि यद्यपि हज़रत अली (अ) का ज्ञान दिव्य स्रोत से जुड़ा हुआ था, इसके बावजूद लोगों की राय को यहां तक कि उनमें से सबसे कमज़ोर लोगों की राय को भी महत्व देते थे। उनका कहना था कि नहजुल बलाग़ा हज़रत अली (अ) के व्यक्तित्व के कई अलग-अलग पहलुओं को खोजने और समझने की खान है, और यह उचित है कि लोग, विशेष रूप से युवा, नहजुल-बालाग़ा पढ़ें और इससे परिचित हों और इससे अद्वितीय सबक़ सीखें।
अपने भाषण के अगले भाग में, इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता ने अत्यंत महत्वपूर्ण राष्ट्रपति चुनाव की ओर इशारा करते हुए कहाः तीन दिनों में, ईरानी राष्ट्र को चुनाव की महत्वपूर्ण परीक्षा का सामना करना पड़ेगा, जो पहले से कहीं अधिक महत्वपूर्ण है।
उन्होंने एक लोकप्रिय, कामकाजी और कठिन प्रयास करने वाले राष्ट्रपति के निधन और अंतिम संस्कार में करोड़ों लोगों की उपस्थिति के 40 दिन बाद, चुनाव के आयोजन को दुनिया में एक दुर्लभ घटना बताया और आशा व्यक्त की कि ईश्वर इन चुनावों में ईरानी राष्ट्र को गौरवान्वित करेगा।
आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनई ने चुनावों में लोगों की अधिकतम भागीदारी के महत्व पर बल देते हुए कहा,चुनाव में महत्वपूर्ण भागीदारी पर ज़ोर देने का कारण यह है कि उच्चतम भागीदारी का सबसे महत्वपूर्ण प्रभाव, इस्लामी गणतंत्र का गौरव है।
इस्लामी गणतंत्र की स्थापना से लेकर आज तक, उसके ख़िलाफ़ शत्रुता जारी रहने और दुशमनों के मुक़ाबले में उसकी सफलता का ज़िक्र करते हुए, इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता ने कहाः लोगों की भागीदारी इस्लामी गणतंत्र का सार है और देश के मुख्य अधिकारी का चुनाव और नियुक्ति इसकी सबसे महत्वपूर्ण अभिव्यक्ति है।
 
             
                 
                                         
                                         
                                         
                                         
                                         
                                         
                                         
                                         
                                         
                                         
                                         
                                         
                                         
                                         
                                        
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