मंगलवार 29 जुलाई 2025 - 15:47
आयतुल्लाह खामेनेई के खिलाफ अपमानजनक खबरों के विरोध में मौलाना कल्बे जवाद नक़वी ने सूचना मंत्री को पत्र लिखकर कार्रवाई की मांग की

हौज़ा / मजलिस ए उलेमा-ए-हिंद के महासचिव मौलाना सैयद कल्बे जवाद नकवी ने मीडिया द्वारा शिया मुसलमानों के महान धार्मिक नेता और मरजा ए तकलीद आयतुल्लाहिल उज़्मा सैयद अली खामेनेई के खिलाफ झूठी और प्रोपेगेंडा खबरें प्रसारित करने के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग करते हुए भारत सरकार के सूचना एवं प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव को पत्र लिखा है।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,मजलिस ए उलेमा-ए-हिंद के महासचिव मौलाना सैयद कल्बे जवाद नकवी ने अपने पत्र में कहा कि भारतीय मीडिया शिया समुदाय के सर्वोच्च धार्मिक नेता आयतुल्लाह खामेनेई के बारे में बेबुनियाद और झूठी खबरें प्रसारित कर रहा है, जिससे मुसलमानों के धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंच रही है।

उन्होंने जोर देकर कहा कि आयतुल्लाह खामेनेई न केवल ईरान के सर्वोच्च नेता हैं, बल्कि वे शिया मुसलमानों के धार्मिक गुरु और मरजा-ए-तकलीद भी हैं, जिनके अनुयायी भारत सहित पूरी दुनिया में मौजूद हैं। 

मौलाना नक़वी ने लिखा,ईरान इजराइल युद्ध के दौरान भी मीडिया ने झूठी खबरें फैलाईं और अब भी यह सिलसिला जारी है ईरान भारत का पुराना मित्र है और दोनों देशों के बीच सौहार्दपूर्ण संबंध हैं, जिसका सम्मान मीडिया को भी करना चाहिए। इस तरह की झूठी खबरों से भारत की अंतरराष्ट्रीय छवि को नुकसान पहुंचता है, जिसे रोकना सरकार की जिम्मेदारी है। 

उन्होंने विशेष रूप से इंडिया टीवी और हिंदुस्तान टाइम्स द्वारा आयतुल्लाह खामेनेई के बारे में प्रकाशित एक झूठी खबर का उदाहरण दिया, जिसमें दावा किया गया था कि वे नशा करते हैं और पूरा दिन सोते रहते हैं। मौलाना ने कहा कि इस तरह की अपमानजनक रिपोर्टिंग ने मुसलमानों की धार्मिक भावनाओं को गहरा आघात पहुंचाया है। 

मौलाना नकवी ने मांग की है कि सरकार:
1.संबंधित मीडिया संस्थानों के खिलाफ संवैधानिक कार्रवाई करे। 
2. मीडिया के लिए दिशा-निर्देश जारी करे ताकि भविष्य में ऐसी झूठी खबरें न फैलाई जाएं।

3.इजराइली मीडिया स्रोतों पर अंधविश्वास करने के बजाय तथ्यों की पुष्टि की जाए।

उन्होंने चेतावनी दी कि यदि मीडिया इसी तरह झूठ और प्रोपेगेंडा फैलाता रहा तो इससे देश की प्रतिष्ठा को नुकसान होगा मौलाना नकवी ने यह पत्र सूचना मंत्री के कार्यालय को ईमेल के माध्यम से भेजा है। 

यह मामला धार्मिक भावनाओं से जुड़ा है और सरकार से अपेक्षा की जाती है कि वह मीडिया द्वारा धार्मिक नेताओं के अपमान को रोकने के लिए ठोस कदम उठाएगी।

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