हौज़ा न्यूज़ एजेंसी की एक रिपोर्ट के अनुसार, इस्लामी न्याय व्यवस्था में "ख़ुम्स" का मुद्दा बहुत महत्वपूर्ण है और प्रत्येक व्यक्ति के लिए इसके नियमों का सही ढंग से पालन करना अनिवार्य है।
इस संबंध में एक मूलभूत बिंदु "ख़ुम्स वर्ष" का निर्धारण और उसके अनुसार आय-व्यय का सटीक रिकॉर्ड रखना है।
इस संबंध में, आयतुल्लाहिल उज़्मा सय्यद अली ख़ामेनेई के कार्यालय ने इस विषय पर पूछे गए सवाल का जवाब दिया है, जिसे पाठको के समक्ष प्रस्तुत किया जा रहा है।
सवाल: सर्वोच्च नेता आयतुल्लाह ख़ामेनेई (द ज) के फ़तवे के अनुसार, चूँकि ख़ुम्स के वर्ष में कोई निश्चित सीमा निर्धारित करना आवश्यक नहीं है, क्या उस वर्ष की आय का उपयोग ख़ुम्स के वर्ष की समाप्ति के बाद कुछ दिनों के लिए जीवन-यापन के खर्चों के लिए किया जा सकता है?
जवाब: हाँ, लगभग एक सप्ताह तक के खर्च को पिछले वर्ष का खर्च (मऊना) माना जाएगा।
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