बुधवार 24 सितंबर 2025 - 06:39
शरई अहकाम । नमाज़ में सूर ए हम्द और सूरा पढ़ने के बारे में शक

हौज़ा / आयतुल्लाहिल उज़्मा मकारिम शिराज़ी ने सूर ए हम्द और दूसरा सूरा पढ़ने के मक़ाम से गुजरने के बाद हम्द और दूसरा सूरा पढ़ने मे शक के संबंध में एक सवाल का जवाब दिया है।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार, नमाज़ के अहकाम इस्लामी फ़िक़्ह के सबसे महत्वपूर्ण हिस्सों में से हैं, और इनका सही ढंग से पालन हर उस व्यक्ति के लिए ज़रूरी है जो इन्हें अदा करने के लिए बाध्य है। कुछ नमाज़ियों के लिए एक समस्या यह हो सकती है कि जहाँ नमाज़ पढ़ी जाती है, वहाँ से गुज़रने के बाद उन्हें नमाज़ के कुछ हिस्सों को अदा करने में शक और हिचकिचाहट हो सकती है। अगर ऐसे शुकूक के शरई अहकाम के अनुसार मान्यता नहीं दी जाती, तो वे वसवास का कारण बन सकते हैं और इबादत में समस्याएँ पैदा कर सकते हैं।

मराज ए ऐज़ाम के फतवों के अनुसार, इनमें से कई शुकूक के लिए मखसूस हुक्म हैं, और इनके बारे में जागरूक होकर, नमाज़ पढ़ने वाला मन की शांति के साथ अपनी इबादत जारी रख सकता है। इस विषय पर आयतुल्लाहिल उज़्मा मकारिम शिराज़ी ने एक सवाल का जवाब, शरई अहाकम मे रूचि रखने वालो के लिए प्रस्तुत है।

सवाल: अगर किसी को सूरा शुरू करने के बाद शक हो कि उसने "हम्द" पढ़ा है या नही, या रुकूअ या कुनूत के दौरान शक हो कि उसने हम्द और सूरा पढ़ी है या नहीं, तो क्या करना चाहिए?

जवाब: अगर कोई सूरा पढ़ना शुरू करते ही शक करे कि उसने हम्द पढ़ा है या नहीं, या रुकूअ या कुनूत के दौरान शक करे कि उसने हम्द और सूरा पढ़ा है या नही तो उसे अपने शक पर ध्यान नहीं देना चाहिए और ऐसी स्थिति में नमाज़ सही है।

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