शनिवार 11 अक्तूबर 2025 - 12:59
शरई अहकाम | दूसरों के हक़ लौटाना; कल की कीमत या आज की?

हौज़ा/ आयतुल्लाह सय्यद अली ख़ामेनेई ने कई साल पहले बेची गई संपत्ति के मुआवज़े की राशि की गणना के संबंध में पूछे गए सवाल का जवाब दिया है।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी I लोगों के हक़ लौटाना और उनका बकाया चुकाना शरिया के सबसे महत्वपूर्ण दायित्वों में से एक है, जिसकी उपेक्षा करने पर इस दुनिया और आख़िरत में गंभीर परिणाम हो सकते हैं।

लोगों के हक़ और उनकी संपत्ति से जुड़े मामले इस्लामी फ़िक़्ह के बेहद संवेदनशील विषय हैं जिन पर पैग़म्बर (स) और इमामो (अ) ने हमेशा ज़ोर दिया है।

चूँकि आज, विभिन्न कारणों से, कुछ लोगों ने अतीत में दूसरों की संपत्ति का अवैध रूप से दुरुपयोग किया है और अब वे इसकी भरपाई करना चाहते हैं, लेकिन ऋण की गणना और भुगतान के तरीके को लेकर संशय में हैं, इसलिए इस संबंध में प्रमुख धार्मिक अधिकारियों के फतवों का संदर्भ लेना आवश्यक है।

आयतुल्लाह सय्यद अली ख़ामेनेई ने इस विषय पर पूछे गए सवाल का जवाब दिया है, जो पाठकों के समक्ष प्रस्तुत किया जा रहा है।

प्रश्न: एक व्यक्ति ने कई साल पहले लोगों की संपत्ति ली और उसे कम दामों पर बेच दिया, और अब उसे उसके मूल मालिक नहीं मिल रहे हैं। क्या उसे उस समय की कीमत के अनुसार भुगतान करना चाहिए या आज की कीमत के अनुसार?

उत्तर: यदि संपत्ति कोई वस्तु है (अर्थात ऐसी वस्तु जो आमतौर पर एक ही तरह से उपलब्ध होती है, जैसे चावल या दाल आदि), तो उसे आज की कीमत के अनुसार भुगतान करना चाहिए।

और यदि संपत्ति कोई मूल्यवान संपत्ति है (अर्थात ऐसी वस्तु जिसकी कीमत अलग हो, जैसे मोबाइल फ़ोन आदि), तो गणना उस दिन की कीमत के आधार पर होनी चाहिए जिस दिन उसे बेचा गया था, लेकिन संपत्ति के मूल्यह्रास को भी ध्यान में रखा जाना चाहिए।

यह भी ध्यान देने योग्य है कि मूल्य का मानक सामान्य और स्थापित बाजार मूल्य होगा, न कि वह कम कीमत जो उसने चोरी या अवैध बिक्री के समय निर्धारित की थी।

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