हौज़ा न्यूज़ एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, महदीवाद पर आधारित "आदर्श समाज की ओर" शीर्षक नामक सिलसिलेवार बहसें पेश की जाती हैं, जिनका मकसद इमाम ज़माना (अ) से जुड़ी शिक्षाओ को फैलाना है।
क़ुरआन की कुछ आयतें हज़रत इमाम महदी (अ) और उनकी विश्वव्यापी क्रांति से जुड़ी हैं।
दूसरी आयत:
وَنُریدُ أنْ نَمُنّ عَلَی الّذینَ اسْتُضْعِفُوا فِی الارْضِ وَنَجْعَلَهُمْ أئمّْة وَنَجْعَلَهُمُ الْوارِثینَ व नोरीदो अन नमुन्ना अलल लज़ीनस तुज़्ऐफ़ू फ़िल अर्ज़े व नज्अलोहुम आइम्मतन व नज्अलोहुमुल वारेसीन
और हम चाहते हैं कि ज़मीन के दबे-कुचले लोगों (मुस्तज़ऐफ़ीन) पर कृपा करें, उन्हें इमामों का दर्जा दें और उन्हें ज़मीन का वारिस बना दें। (सूरा क़सस, आयत 5)
इमाम अली (अ) के नहजुल बलाग़ा और अन्य इमामों से रिवायत की गई बातों के अनुसार, यह आयत इस बात की ओर इशारा करती है कि अंत में कमज़ोर और सताए गए लोग ज़ालिमों पर जीत हासिल करेंगे और दुनिया का शासन योग्य और नेक लोगों के हाथ में होगा।
यह जो आयत है, वह केवल बनी-इज़राईल (यहूदियों) से सम्बन्धित किसी छोटे निजी कार्यक्रम के बारे में नहीं है, बल्कि यह हर जमाने और हर दौर के लिए एक आम और सार्वभौमिक नियम को बयान करती है। यह आयत हक और सच्चाई की जीत तथा कुफ्र और बुराई पर ईमान की सफलता की खुशखबरी देती है। इसका पहला और ज़ाहिर उदाहरण पैग़म्बर हज़रत मोहम्मद (स) और उनके साथियों की हुकूमत है, जो इस्लाम के ज़ुहूर के बाद बनी।
सबसे बड़ा और आख़िरी उदाहरण, पूरी दुनिया में हक और इंसाफ़ की हुकूमत का क़ायम होना है, जो हज़रत इमाम महदी (अ) के हाथों होगा।
यह आयत उन आयतों में से है, जो साफ़ तौर पर एक ऐसे हुकूमत के ज़ुहूर का वादा और बशारत देती है। इसीलिए अहलेबैत (अ) ने भी अपनी तफ़सीर में, इसी बड़ी और आख़िरी क्रांति की तरफ इशारा किया है। इमाम अली (अ) ने 'नहजुल बलाग़ा' में इसका उल्लेख किया है।
لَتَعْطِفَنَّ الدُّنْیا عَلَینَا بَعْدَ شِمَاسِهَا عَطْفَ الضَّرُوسِ عَلَی وَلَدِهَا وَ تَلَا عَقِیبَ ذَلِکَ "وَ نُرِیدُ أَنْ نَمُنَّ عَلَی الَّذِینَ اسْتُضْعَفُوا فِی الْأَرْضِ وَ نَجْعَلَهُمْ أَئِمَّةً وَنَجْعَلَهُمُ الْوارِثِینَ लातअतेफ़न्नद दुनिया अलैना बादा शेमासेहा अत्फ़ज़ ज़रूसे अला वलदेहा वतला अक़ीबा ज़ालेका व नोरीदो अन नमुन्ना अलल लज़ीनस तुज़्ऐफ़ू फ़िल अर्ज़े व नजअलोहुम आइम्मतन व नज्अलोहोमुल वारेसीन
दुनिया हमारी तरफ उस समय मुड़ती है जब वह बागी और जिद्दी हो चुकी होती है — जैसे ऊँट दूध देने वाले से दूध छीन लेता है और अपने बच्चे के लिए बचा कर रखता है... फिर इसके बाद यह आयत पढ़ी जाती है: وَنُرِیدُ أَنْ نَمُنَّ عَلَی الَّذِینَ की तिलावत की। (हिकमत 209)
इमाम अली (अ) ने एक दूरसी हदीस में इस आयत की व्याख्या करते हुए फ़रमाया:
هُمْ آلُ مُحَمَّدٍ یبْعَثُ اللَّهُ مَهْدِیهُمْ بَعْدَ جَهْدِهِمْ فَیعِزُّهُمْ وَ یذِلُّ عَدُوَّهُمْ हुम आलो मुहम्मदिन यबहसुल्लाहो महदीयोहुम बादा जहदेहिम फ़यइज़्ज़ोहुम व यज़िल्लो अदुव्वहुम
वे (लोग) आले मुहम्मद हैं, जिनके महदी को अल्लाह उनके संघर्षों और कठिनाइयों के बाद भेजता है, वह उन्हें शक्ति देता है और उनके दुश्मनों को नीचा दिखाता है। (शेख़ तूसी, किताब अल-ग़ैबा, पेज 184)
श्रृंखला जारी है ---
इक़्तेबास : "दर्स नामा महदवियत" नामक पुस्तक से से मामूली परिवर्तन के साथ लिया गया है, लेखक: खुदामुराद सुलैमियान
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