हौज़ा न्यूज़ एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, महदीवाद पर आधारित "आदर्श समाज की ओर" शीर्षक नामक सिलसिलेवार बहसें पेश की जाती हैं, जिनका मकसद इमाम ज़माना (अ) से जुड़ी शिक्षाओ को फैलाना है।
हज़रत इमाम महदी (अ) और उनके वैश्विक क्रांति से जुड़ी कुछ आयतें निम्नलिखित हैं:
पहली आयत:
وَلقَدْ کَتَبْنا فِی الزّبُورِ مِنْ بَعْدِ الذّکْرِ أنّ الارضَ یرِثُها عِبادِیَ الصّالِحُونَ वलक़द कतब्ना फ़िज़ ज़बूरे मिन बादिज़ ज़िक्रे अन्नल अर्ज़ा यरेसोहा ऐबादेयस सालेहून
और हमने ज़बूर में, तौरात के बाद लिख दिया है कि ज़मीन के वारिस मेरे नेक बंदे होंगे। (सूरा अनबिया, आयत 105)
इस आयत में दुनिया के नेक लोगों (सालिहीन) को मिलने वाला एक स्पष्ट इनाम (ज़मीन पर हुकूमत) की तरफ इशारा किया गया है। कई रिवायतों में यह अहम घटना, इमाम महदी (अ) के ज़हूर से जुड़ी मानी जाती है।
जब ईमानदार लोग यह योग्यता हासिल कर लेंगे, तो अल्लाह भी उनकी मदद करता है और वो जालिमों पर ग़लबा पाते हैं।
इसलिए सिर्फ़ “कमज़ोरी” दुश्मनों पर जीत या जमीन पर हुकूमत पाने के लिए काफी नहीं; बल्कि ईमान और क़ाबिलियत भी जरूरी हैं। दुनिया के सारे मज़लूम लोग जब तक ये दो चीजें—ईमान और क़ाबिलियत—हासिल नहीं करते, उन्हें जमीन पर हुकूमत नहीं मिलेगी।
नुक्ते
1- आले मोहम्मद (स)
आयत की तफ़्सीर में इमाम बाक़िर (अ) ने फ़रमाया:
هُمْ آلُ مُحَمَّدٍ یَبْعَثُ اللَّهُ مَهْدِیهُمْ بَعْدَ جَهْدِهِمْ فَیعِزُّهُمْ وَ یذِلُّ عَدُوَّهُمْ हुम आलो मोहम्मदिन यबअसुल्लाहो महदीहुम बाद जहदेहिम फ़यइज़्ज़ोहुम व यज़िल्लो अदुव्वोहुम
वे आले मोहम्मद हैं, जिनके मेहनतों के बाद अल्लाह उनके महदी को भेजेगा और उन्हें इज़्ज़त देगा, उनके दुश्मनों को नीचा दिखाएगा। (किताब अल ग़ैबा, शेख तूसी, पेज 184)
रिवायत सीमित नहीं है; बल्कि साफ़ और शफ़्फ़ाफ़ मिसाल का बयान है। यह तफ़्सीर कभी भी आयत के आम और व्यापक मानी को सीमित नहीं करती। इसलिए हर ज़माने और हर जगह अल्लाह के नेक/सालेह बंदे जब उठेंगे, विजयी होंगे और आखिर में ज़मीन के वारिस बनेंगे।
2- दाऊद के मज़ामीर में नेक लोगो की हुकूमत की खुशख़बरी
दाऊद के मज़ामीर में यही वाक्य या मिलती-जुलती बातें कई जगह देखी जाती हैं, और यकीन किया जाता है कि तमाम तहरीफ के बावजूद यह हिस्सा अब भी सुरक्षित है।
“बुरे लोग मिट जाएंगे, लेकिन जो लोग अल्लाह पर भरोसा करते हैं, वे ज़मीन के वारिस होंगे, और थोड़ा सा वक्त है कि बुरा आदमी भी नहीं मिलेगा; चाहे उसका पता ढूंढो, वो गायब मिलेगा।” (मज़ामीर दाऊद 37:9)
“लेकिन विनम्र लोग ज़मीन के वारिस होंगे, और बहुत सारी सलामती से खुश रहेंगे।” (मज़ामीर दाऊद 37, बंद 11)
“अल्लाह के बरकत वाले लोग ज़मीन के वारिस होंगे, लेकिन बदकिस्मत लोग कट जाएंगे।” (मज़ामीर दाऊद 37, बंद 27)
“सच्चे लोग ज़मीन के वारिस बनेंगे, और हमेशा उसमें बसे रहेंगे।” (मज़ामीर दाऊद 37, बंद 29)
“अल्लाह नेक लोगों के दिनों को जानता है, और उनकी विरासत हमेशा के लिए होगी।” (मज़ामीर दाऊद 37, बंद18)
इन सभी बातों में "सालेहीन" (नेक लोग) जैसा शब्द, जो कुरआन में आया है, वैसा ही दाऊद के मज़ामीर में भी मिलता है। इसके अलावा, "सच्चे लोग", "भरोसा करने वाले", "बरकत वाले", "विनम्र लोग" जैसे शब्द भी आए हैं। ये भाषा इस बात को साबित करती है कि "सालेहीन" (नेक लोगों) की हुकूमत एक आम और सबके लिए है, जो हज़रत महदी (अ) के जमान में होने वाली क्रांति से मेल खाती है।
3- नेक लोगों की हुकूमत—पैदाइश का एक नियम
यह जानना ज़रूरी है कि हर गलत किस्म की हुकूमत खुद पैदाइश और कायनात के नियमों के खिलाफ़ है, और जो चीज़ मिजाज़ और सृष्टि के कानून से मेल खाती है, वही सालेहीन (नेक लोगों) की हुकूमत है। कायनात का सिस्टम अच्छे समाजी सिस्टम को मंजूरी देता है, और यही वो कॉन्सेप्ट है जो कुरआन की आयत और इमाम महदी (अ) की क्रांति से जुड़ी रिवायतों में पाया जाता है। (तफ़सीर नमूना, भाग 13, पेज 515 -524)
श्रृंखला जारी है ---
इक़्तेबास : "दर्स नामा महदवियत" नामक पुस्तक से से मामूली परिवर्तन के साथ लिया गया है, लेखक: खुदामुराद सुलैमियान
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