हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,हज़रत आयतुल्लाहिल उज़मा सैय्यद अली ख़ामेनेई ने फरमाया,आज के दौर में जहाँ शिक्षा और तकनीक तेज़ी से बढ़ रही है, वहीं कई बच्चे घरों और स्कूलों में अनुचित अनुशासन और हिंसा का शिकार हो रहे हैं। बाल अधिकार कार्यकर्ताओं का कहना है कि ग़लत तरबियत बच्चों से उनका आत्मविश्वास, सुरक्षा और खुशहाल बचपन छीन लेती है।
एक नौजवान का पढ़ना लिखना, इबादत करना, अच्छा अख़लाक़, समाज सेवा, सही और उचित खेल कूद और ज़िन्दगी में अच्छी आदतें और तौर तरीक़े अपनाना, ये सब अच्छे काम हैं।
कुछ घरानों में नौजवानों के अधिकारों का ख़याल नहीं रखा जाता और कुछ परिवारों में ख़ास तौर पर बच्चों के अधिकारों का ख़याल नहीं रखा जाता, इन सब बातों की ओर उनका ध्यान ले जाना चाहिए और उन्हें बताना चाहिए कि बच्चों के अधिकारों का हनन सिर्फ़ यह नहीं है कि उनके साथ मोहब्बत न करे, जी नहीं!
ग़लत तरबियत, उनके प्रति लगाव न होना, उनकी ज़रूरतों का ख़याल न रखना, मोहब्बत में कमी और इसी तरह की दूसरी बातें भी उन पर ज़ुल्म के दायरे में आती हैं।
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