हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,सुप्रीम लीडर आयतुल्लाहिल उज़मा सैय्यद अली ख़ामेनई ने कहां,घरवालों के बीच ‘अम्र बिल मारूफ’ (अच्छाई का हुक्म देना) और ‘नहि अनिल मुन्कर’ (बुराइयों से रोकना) के मसले में सिर्फ़ बुराई से रोकना नहीं है, बल्कि अम्र बिल मारूफ़ यानी भलाई का हुक्म और अच्छे काम का हुक्म देना भी ज़रूरी है।
नौजवान के लिए पढ़ाई करना, इबादत करना, अच्छा अख़लाक़, सामाजिक सहयोग, सही व तर्कसंगत खेल और ज़िन्दगी में अच्छी आदतें और अदब का लेहाज़, ये सब अच्छे अमल का हिस्सा हैं।
एक मर्द के लिए, एक औरत के लिए और एक फ़ैमिली के लिए बड़े काम और अच्छे फ़रीज़े हैं घरवालों के बीच भी बुराई से दूरे रहने की नसीहत की जानी चाहिए।
कुछ घरों में औरतों के अधिकारों का पालन नहीं होता, कुछ घरानों में नौजवानों के अधिकारों का पालन नहीं होता, कुछ घरों में बच्चों के अधिकारों का पालन नहीं होता। इन चीज़ों के बारे में उन्हें याद-देहानी करानी चाहिए और उनसे मुतालेबा करना चाहिए।
बाल अधिकार का हनन सिर्फ़ उनसे मोहब्बत न करने तक सीमित नहीं है, ग़लत तरबियत, अहमियत न दिया जाना, तवज्जो न देना, जज़्बात की कमी, इस तरह की चीज़ें भी उन पर ज़ुल्म है।