शनिवार 8 नवंबर 2025 - 17:44
अबुजा में अय्याम ए फातमिया का आयोजन,शेख़ ज़कज़ाकी का अहम खिताब, अहले बैत स.ल.की विलायत के बचाव में सब्र और हिकमत की तलक़ीन

हौज़ा / नाइजीरिया की राजधानी अबुजा में हज़रत फातिमा ज़हरा सल्लल्लाहु अलैहा की शहादत के अवसर पर आयोजित मजलिस-ए-अज़ादारी को संबोधित करते हुए इस्लामिक मूवमेंट ऑफ नाइजीरिया के नेता हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लिमीन शेख इब्राहिम ज़कज़ाकी ने कहा कि अहले बैत अ.स. की विलायत के बचाव में सब्र और हिकमत से काम लेना ज़रूरी है ताकि हकीकत इतिहास के रूप में सामने आ सके।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार , 14 जमादीउल औवल 1447 हिजरी को अबुजा में इस्लामिक मूवमेंट ऑफ नाइजीरिया के नेता शेख इब्राहिम जकजाकी के निवास पर हज़रत फातिमा ज़हरा (सल्लल्लाहु अलैहा) की शहादत के अवसर पर मजलिस-ए-अज़ा का आयोजन किया गया, जिसमें उलेमाए किराम, तुलबा और मोमिनीन की बड़ी संख्या ने शिरकत की।

अल्लामा ज़कज़ाकी ने अपने संबोधन में कहा कि हज़रत ज़हरा सल्लल्लाहु अलैहा की शहादत इस्लामी इतिहास की सबसे बड़ी त्रासदी है, लेकिन दुख की बात है कि आज भी बहुत से लोग इन घटनाओं की हकीकत से अनजान या इनकार करते हैं। उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि इन मज़लूमों का इनकार असल में अहले बैत की पहचान से महरूमी है।

उन्होंने कहा कि इमाम अली अलैहिस्सलाम का सब्र किसी कमज़ोरी की निशानी नहीं बल्कि वसीयत-ए-नबवी (सल्लल्लाहु अलैहि व आलिही व सल्लम) के मुताबिक एक इलाही फ़र्ज़ था ताकि हुज्जत तमाम हो। शेख जकजाकी ने वज़ाहत की कि हज़रत ज़हरा (सल्लल्लाहु अलैहा) की नमाज-ए-जनाज़ा रात के वक्त ख़ुफ़िया तौर पर अदा की गई और उनकी मज़ार भी दुश्मनों के डर से छुपाकर रखी गई।

इस्लामिक मूवमेंट के सरबराह ने कहा कि अगर हम कहें कि इतिहास को छोड़ दिया जाए तो दीन भी इतिहास बन जाएगा, इसलिए ज़रूरी है कि उम्मत को हकीकत से आगाह किया जाए मगर अक़्लानियत, सब्र और गुफ़्तुगू के ज़रिए, न कि तुन्दी और जज़्बात से।

उन्होंने पैरोवान-ए-अहले बैत को वसीयत की कि तबलीग में बर्दबारी और नर्मी को अख़्तियार करें और इल्मी तहक़ीक़ात के ज़रिए शुबहात का इज़ाला करें।

इख़्तिताम पर उन्होंने दुआ की कि ख़ुदा उम्मते मुस्लिमा को बेदारी अता फ़रमाए, ज़ालिमों के फरेब से महफ़ूज़ रखे और ज़ुहूर-ए-इमाम-ए-ज़माना अलैहिस्सलाम को करीब करे।

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