۲۶ آبان ۱۴۰۳ |۱۴ جمادی‌الاول ۱۴۴۶ | Nov 16, 2024
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हौज़ा / हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लिमीन सैयद सद्रुद्दीन क़बांची ने अरब शिखर सम्मेलन के बारे में बात करते हुए कहा,यह सम्मेलन रियाज में इराक की दवात पर ग़ाज़ा और इज़राइल के मुद्दे पर चर्चा के लिए आयोजित किया गया।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,एक रिपोर्ट के अनुसार,नजफ अशरफ,के इमाम-ए-जुमा हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लिमीन सैयद सद्रुद्दीन क़बांची ने हुसैनिया अज़्म फातमिया नजफ अशरफ में जुमे की नमाज़ के खुत्बों में कहा, रियाद की बैठक इस हफ्ते इराक की दावत पर आयोजित हुई।

जिसमें सऊदी विदेश मंत्री ने दो राष्ट्र समाधान की बात की इसका मतलब यह है कि उनकी नज़र में इज़राइल और फ़िलस्तीन को मान्यता दिए बिना कोई दूसरा समाधान संभव नहीं है।

उन्होंने आगे कहा,जब ग़ाज़ा के शहीदों की संख्या 43 हज़ार तक पहुँच चुकी है तो हम उनसे और बाकी लोगों से कहते हैं कि ग़ज़ा युद्ध का एकमात्र समाधान दुनिया भर में आतंकवाद और हिंसा की नीति से दूरी बनाना आक्रमण को रोकना और ज़ालिम को सज़ा देना है।

नजफ अशरफ के इमाम ए जुमआ ने हज़रत फ़ातिमा ज़हरा सलामुल्लाह अलैहा की शहादत के दिनों का ज़िक्र करते हुए कहा, इस मौके पर हम अहल-ए-सुन्नत की किताबों से उन रिवायतों को याद करते हैं जो सनद के लिहाज से सही हैं।

उनमें से एक रिवायत है, "
لما أسری بی إلی السماء أدخلت الجنة فوقفت علی شجرة من أشجار لم أر فی الجنة أحسن منها ولا أبیض ورقا ولا أطیب ثمرة، فتناولت ثمرة من ثمرتها فأکلتها فصارت نطفة فی صلبی، فلما هبطت إلی الأرض واقعت خدیجة فحملت بفاطمة، فإذا أنا اشتقت إلی ریح الجنة شممت ریح فاطمة»

इसमें हज़रत फ़ातिमा सलामुल्लाह अलैहा को जन्नती फल से तश्बीह दी गई है इस रिवायत का तर्जुमा कुछ इस तरह है कि पैग़ंबर-ए-इस्लाम सल्लल्लाहु अलैहि व आलिहि वसल्लम फरमाते हैं: "शब-ए-मेराज, मैं जन्नत में दाख़िल हुआ और एक दरख़्त के पास पहुंचा।

मैंने एक ऐसा दरख़्त देखा जो बेहद खूबसूरत था सफेद पत्तों और खुशबूदार फलों से सुसज्जित था। मैंने उस दरख़्त के फल से खाया जो नुत्फ़ा में तब्दील हो गया।

जब मैं ज़मीन पर वापस आया तो ख़दीजा के साथ हमबिस्तर हुआ और वे फ़ातिमा से हामिला हुईं। जब भी मैं जन्नत की खुशबू का इच्छुक होता हूं, तो मैं फ़ातिमा से वह खुशबू महसूस करता हूं।

उन्होंने हज़रत फ़ातिमा ज़हरा सलामुल्लाह अलैहा की शख़्सियत और उनके मक़ाम को अहल-ए-सुन्नत की मुख़्तलिफ़ किताबों और स्रोतों से बयान करते हुए कहा, अगर ये तमाम रिवायतें सही हैं, तो फिर क्यों उनके घर पर हमला किया गया, उनकी इज़्ज़त को पामाल किया गया और हज़रत सिद्दीक़ा कुब्रिया सलामुल्लाह अलैहा पर ज़ुल्म किया गया?

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