हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार, भारत के राज्य बिहार मे हुई एक शर्मनाक घटना जिसमे बिहार के मुख्यमंत्री ने एक मुस्लिम डॉ महिला का हिजाब खीचा जोकि वायरल हुआ उसी के संबंध मे हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के हिंदी विभाग के रिपोर्टर ने भारत के संविधान पर अच्छी पकड़ रखने वाले शोधकर्ता हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लेमीन मोहम्मद हुसैन सूरतवाला से बिहार मे हुई इस शर्मनाक घटना पर विशेष बातचीत हुई जिसमे शोधकर्ता मोहम्मद हुसैन ने बड़े ही अच्छे शब्दो के च्यन के साथ खूबसूरत जवाबात दिए जिसे हम अपने प्रिय पाठको के लिए प्रस्तुत कर रहे है।
शोधकर्ता मोहम्मद हुसैन सूरतवाला के साथ हुई बातचीत का पूरा पाठ इस प्रकार हैः
हौज़ा न्यूज़ः अपना परिचय कराते हुए अपनी तालीमी सफ़र और गतिविधियो का उल्लेख कीजिए।
शोधकर्ता हुज्जतुल इस्लाम मोहम्मद हुसैन सूरतवालाः मेरा नाम मोहम्मद हुसैन सूरतवाला है और मेरा संबंध मुंबई से है। मेरी प्रारंभिक शिक्षा भारत में हुई। उच्च शिक्षा के लिए मैं ईरान गया, जहाँ मैंने इस्लामी अध्ययन और धार्मिक विषयों का गहन अध्ययन किया। वर्तमान में मैं इस्लामिक फ़िक़्ह (Islamic Jurisprudence) में पीएचडी कर रहा हूँ।
मेरी शैक्षणिक और शोध गतिविधियों का केंद्र संविधान, धर्म, समाज, मानवाधिकार और अल्पसंख्यक मुद्दे रहे हैं। मैं शिक्षा और संवाद के माध्यम से सामाजिक सौहार्द और संवैधानिक मूल्यों को मज़बूत करने में विश्वास रखता हूँ।
हौज़ा न्यूज़ः बिहार के मुख्यमंत्री द्वारा महिला डॉक्टर का हिजाब खींचने को आप धर्मनिरपेक्षता के खिलाफ कैसे देखते हैं?
शोधकर्ता हुज्जतुल इस्लाम मोहम्मद हुसैन सूरतवालाः भारत का धर्मनिरपेक्षता का सिद्धांत सभी धर्मों के प्रति समान सम्मान और राज्य की निष्पक्षता पर आधारित है। किसी महिला के धार्मिक परिधान में सार्वजनिक रूप से हस्तक्षेप करना न केवल उसकी व्यक्तिगत गरिमा को ठेस पहुँचाता है, बल्कि यह राज्य के धर्मनिरपेक्ष चरित्र के भी विरुद्ध है। यह कृत्य धार्मिक स्वतंत्रता और व्यक्तिगत सम्मान—दोनों के खिलाफ है।
हौज़ा न्यूज़ः भारतीय संविधान सार्वजनिक पद पर बैठे किसी व्यक्ति को धार्मिक प्रतीकों में हस्तक्षेप करने का अधिकार देता है?
शोधकर्ता हुज्जतुल इस्लाम मोहम्मद हुसैन सूरतवालाः नहीं। भारतीय संविधान किसी भी सार्वजनिक पद पर बैठे व्यक्ति को यह अधिकार नहीं देता कि वह किसी नागरिक के धार्मिक प्रतीकों, पहनावे या आस्था में बिना कानूनी आधार के हस्तक्षेप करे। संविधान का उद्देश्य नागरिकों के मूल अधिकारों की रक्षा करना है, न कि उन्हें सीमित करना।
हौज़ा न्यूज़ः भारतीय संविधान के अनुच्छेद 25 के तहत इस घटना को कैसे देखा जाना चाहिए?
शोधकर्ता हुज्जतुल इस्लाम मोहम्मद हुसैन सूरतवालाः संविधान का अनुच्छेद 25 प्रत्येक नागरिक को अपने धर्म को मानने, आचरण करने और व्यक्त करने की स्वतंत्रता देता है। हिजाब पहनना एक धार्मिक और व्यक्तिगत आस्था से जुड़ा विषय है। ऐसे में इस प्रकार की जबरन कार्रवाई अनुच्छेद 25 की भावना और उद्देश्य के विपरीत मानी जानी चाहिए, जब तक कि कोई ठोस सार्वजनिक व्यवस्था का कारण न हो।
हौज़ा न्यूज़ः क्या यह घटना धार्मिक स्वतंत्रता के उल्लंघन की श्रेणी में आती है?
शोधकर्ता हुज्जतुल इस्लाम मोहम्मद हुसैन सूरतवालाः हाँ, यह घटना धार्मिक स्वतंत्रता के उल्लंघन की श्रेणी में आती है, क्योंकि:
- इसमें एक धार्मिक पहचान को निशाना बनाया गया,
- महिला की सहमति के बिना उसके धार्मिक परिधान में हस्तक्षेप हुआ,
- राज्यसत्ता का प्रयोग एक सामान्य नागरिक के विरुद्ध किया गया, ये सभी तत्व संविधान द्वारा प्रदत्त मूल अधिकारों के उल्लंघन को दर्शाते हैं।
हौज़ा न्यूज़ः ऐसी घटनाएँ अल्पसंख्यक समुदायों में असुरक्षा कैसे बढ़ाती हैं?
शोधकर्ता हुज्जतुल इस्लाम मोहम्मद हुसैन सूरतवालाः इस प्रकार की घटनाएँ अल्पसंख्यक समुदायों में यह भावना पैदा करती हैं कि उनकी पहचान और आस्था सुरक्षित नहीं है। इससे यह संदेश जाता है कि शक्तिशाली लोग कानून से ऊपर हैं और राज्य की निष्पक्षता पर सवाल खड़े होते हैं। परिणामस्वरूप सामाजिक विश्वास और आपसी सौहार्द कमजोर पड़ता है।
हौज़ा न्यूज़ः क्या यह महिला अधिकारों के खिलाफ कार्रवाई मानी जा सकती है?
शोधकर्ता हुज्जतुल इस्लाम मोहम्मद हुसैन सूरतवालाः निस्संदेह। यह महिला के शारीरिक स्वायत्तता (Bodily Autonomy) सम्मान और गरिमा, अपने पहनावे का स्वतंत्र चुनाव के खिलाफ है। किसी भी महिला को यह अधिकार है कि वह अपनी आस्था और इच्छा के अनुसार वस्त्र धारण करे।
हौज़ा न्यूज़ः नीतीश कुमार का यह कदम उनकी राजनीतिक छवि को कितना प्रभावित करेगा?
शोधकर्ता हुज्जतुल इस्लाम मोहम्मद हुसैन सूरतवालाः इस तरह की घटना उनकी धर्मनिरपेक्ष और संतुलित राजनीतिक छवि को नुकसान पहुँचा सकती है। विशेष रूप से अल्पसंख्यक समुदायों के बीच विश्वास में कमी आ सकती है और राष्ट्रीय स्तर पर आलोचना तेज़ हो सकती है।
हौज़ा न्यूज़ः मीडिया ने इस घटना को किस तरह से पेश किया? क्या यह निष्पक्ष रिपोर्टिंग थी?
शोधकर्ता हुज्जतुल इस्लाम मोहम्मद हुसैन सूरतवालाः मीडिया की भूमिका मिश्रित रही। कुछ मीडिया संस्थानों ने इसे संवैधानिक और मानवाधिकार के दृष्टिकोण से उठाया, वहीं कुछ ने इसे नजरअंदाज किया या महत्वहीन बताने की कोशिश की इससे मीडिया की निष्पक्षता पर भी सवाल उठते हैं।
हौज़ा न्यूज़ः सोशल मीडिया पर कैसी प्रतिक्रियाएँ आईं?
शोधकर्ता हुज्जतुल इस्लाम मोहम्मद हुसैन सूरतवालाः सोशल मीडिया पर इस घटना को लेकर तीखी प्रतिक्रियाएँ देखने को मिलीं।
- मानवाधिकार समर्थकों ने कड़ी आलोचना की,
- संविधान और कानून के संदर्भ में बहस हुई,
- कुछ लोगों ने इसे राजनीतिक मुद्दा बनाकर मूल प्रश्न से ध्यान हटाने की कोशिश की
हौज़ा न्यूज़ः भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए क्या उपाए किए जाने चाहिए?
शोधकर्ता हुज्जतुल इस्लाम मोहम्मद हुसैन सूरतवालाः भविष्य में इस प्रकार की घटनाओं से बचने के लिए आवश्यक है कि:
- सार्वजनिक पदाधिकारियों को संवैधानिक मूल्यों की नियमित ट्रेनिंग दी जाए
- स्पष्ट आचार संहिता और प्रोटोकॉल लागू हों
- न्यायिक निगरानी को सशक्त बनाया जाए
- मीडिया और नागरिक समाज सजग भूमिका निभाएँ
- नागरिकों में संवैधानिक जागरूकता बढ़ाई जाए
आपकी टिप्पणी