۱۳ تیر ۱۴۰۳ |۲۶ ذیحجهٔ ۱۴۴۵ | Jul 3, 2024
दिन की हदीस

हौज़ा / इमामे जावाद (अ.स.) ने एक रिवायत में गै़बते इमामे ज़माना (अ.त.फ.श.) में मुसलमानों की ज़िम्मेदारी की ओर इशारा किया है।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, निम्नलिखित कथन "मुन्तखबुल असर" नामक पुस्तक मे बयान किया गया है।

इस कथन का पाठ इस प्रकार है:

" .قال الامام الجواد علیہ السلام

اِنَّ الْقائِمَ مِنّا هُوَ الْمَهْدِیُّ الَّذی یَجِبُ اَنْ یُنْتَظَرَ فی غَیْبَتِهِ وَ یُطاعَ فی ظُهُورِهِ

क़ाला अल इमामुल जवाद अहैलिस्सलामः

इन्नल क़ायमा मिन्ना होवल महदीयुल लज़ी यजेबो अय्युनतज़ेरा फ़ी ग़ैबतेहि वा योताआ फ़ी ज़ोहुरेहि

हज़रत इमामे जावाद (अ.स.) ने फरमाया:

वास्तव में हमारे कायम मेहंदी(अ.त.फ.श.) हैं !  इनकी गै़बत के ज़माने में मुसलमानों पर वाजिब हैं! कि इनका इंतजार करें और इनके पुन: प्रकट होने के समय उनका पालन करना अनिवार्य है।

मुन्तखबुल असर ,पेंज 223

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