۱۵ تیر ۱۴۰۳ |۲۸ ذیحجهٔ ۱۴۴۵ | Jul 5, 2024
अज़्मे सादिक

हौज़ा / अल अज़्म इल्मी और सक़ाफ़ति मरकज़, क़ुम के ज़ेरे एहतेमाम हकीमे उम्मत डॉ. कल्बे सादिक़ को ख़ेराजे अक़ीदत पेश करने के लिए उनकी हयात ओ खि़दमात पर मुश्तमिल ख़ूसूसी नंबर "अज़्मे सादिक़" की रस्मे इजरा की तक़रीब ईरान के इल्मी व अदबी शहर क़ुम मे आयोजित की गई।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार 21वीं सदी के निःस्वार्थ सेवक, संप्रदायवाद और अलगाववाद को त्यागने वाले, एकता और एकजुटता के प्रणेता, ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के उपाध्यक्ष, राष्ट्रीय पिछड़ेपन और अज्ञानता से घृणा करने वाले, विश्व प्रसिद्ध धार्मिक नेता हकीमे उम्मत मौलाना डॉ. सैयद कल्बे सादिक़ की शैक्षिक, सामाजिक, शोक और धार्मिक अविस्मरणीय अवशेष सेवाएं उखरवि दुनिया के लिए बेहतरीन ज़ख़ीरा हैं।

स्वर्गीय कल्बे सादिक़ लखनऊ के प्रसिद्ध इज्तिहाद परिवार के एक महान विद्वान और व्यावहारिक व्यक्ति थे जो अपने आप में अद्वितीय थे। जाने वाले ने अपने नक़्शो नक़ूश, तक़रीरे, तहरीरे और निर्माण के माध्यम से दुनिया पर एक स्थायी छाप छोड़ी है, जिसके माध्यम से उन्हे हमेशा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर याद किया जाएगा। हकीमे उम्मत मौलाना डॉ कल्बे सादिक़ को श्रद्धांजलि देने के लिए, उनके जीवन और सेवाओं का एक विशेष अंक, "अज़्मे सादिक़" बुधवार, 2 अगस्त, 2015 को़् लॉन्च किया गया था। ईरान के धार्मिक शहर क़ुम मे कार्यक्रम की शुरुआत हुज्जतुल-इस्लाम वल मुस्लेमीन मौलाना सैयद मुहम्मद जवाद रिज़वी द्वारा पवित्र कुरान की आयतो की तिलावत के साथ हुई। उसके बाद प्रसिद्ध शायरे अहलेबैत (अ.स.) हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लेमीन मौलाना ज़ैग़म बारा बंकवी साहब ने मंज़ूम नज़राना ए अक़ीदत पेश करते हुए कुछ इस तरह श्रद्धांजलि दी।

एक मुफ़क्किर अदीब था ना रहा
एक आलिम ख़तीब था ना रहा
अब मरीज़ाने जेहेल जाएं कहां
शहर मे एक तबीब था ना रहा

इसके अलावा मौलाना ने अपने विभिन्न अशआर से सामेईन के महज़ूज़ किया।

तत्पश्चात सर्वश्रेष्ठ समकालीन निबंधकार हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लेमीन मौलाना सैयद नजीबुल-हसन जैदी ने "मौलाना डॉ. कल्बे सादिक़ और फंने ख़िताबत" नामक निबंध (मक़ाला) प्रस्तुत किया। जिसमे मौलाना ने डॉ. कल्बे सादिक़ साहब की ख़िताबत पर प्रकाश डाला। अंत मे हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लेमीन मौलाना सैयद रज़ा हैदर साहब ने हकीमे उम्मत के जीवन और सेवाओं (हयात व ख़िदमात) पर प्रकश डालते हुए एक व्यावहारिक तक़रीर की। इस कार्यक्रम मे हुज्जतुल इस्लाम वल-मुस्लेमीन मौलाना सैयद मुबीन हैदर साहब ने संचालक की भूमिका निभाई। कार्यक्रम की समाप्ति से पहले हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लेमीन मौलाना सैयद मसूद मसूद अख़्तर, हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लेमीन मौलाना हसन रज़ा, हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लेमीन मौलाना शहवार सईदी, हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लेमीन मौलाना सैयद नजीबुल हसन ज़ैदी, हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लेमीन मौलाना सैयद शमे मोहम्मद, हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लेमीन मौलाना सैयद मुबीन हैदर साहब के हाथो ख़ूसूसी नंबर "अज़्मे सादिक़" का रस्मे इजरा हुआ। कार्यक्रम इमाम महदी (अ.त.फ़.श.) की सलामती की दुआ के साथ समाप्त हुआ।

यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि इस कार्यक्रम को क़ुम से ज़हूर मीडिया चैनल के माध्यम से ऑनलाइन प्रसारित किया गया था। संस्था ने सभी प्रतिभागियों का तहे दिल से धन्यवाद किया।

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