۱۳ تیر ۱۴۰۳ |۲۶ ذیحجهٔ ۱۴۴۵ | Jul 3, 2024
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19 अगस्त 2021 - 07:49
यौमे आशूरा

रोज़े आशूर मोहम्मद और आले मोहम्मद के लिए मुसीबत का दिन है।

आशूरा के दिन, इमाम हुसैन (अ) ने इस्लाम के अस्तित्व के लिए अपने परिवार और अपने अंसार को राहे खुदा मे कुर्बान कर दिया। हमारे आइम्मा (अ.स.) ने इस दिन को गिरया व ज़ारी से मखसूस कर दिया है।

 इसलिए आशूरा के दिन गिरया व ज़ारी और मातम व अज़ादारी पर जोर दिया गया है।

हज़रत इमाम जफ़र सादिक (अ) ने फ़रमाया कि अगर कोई इस दिन ज़ियारते इमाम हुसैन (अ) बजा लाए, आपकी मुसीबत पर खूब रोए और अपने परिवार और रिश्तेदारों को भी रोने का आदेश देना चाहिए।

वे अपके घरोंमें विलाप करें, और एक दूसरे के लिथे रोएं, और इन वचनोंमें एक दूसरे के लिथे शोक करें।” उनके और जालना उयाकम ± तालिबीन बेचारा ताज दिल से अलमहदी इमाम मोहम्मद अल-बेत "प्रभु भगवान उन्हें अपार इनाम देंगे।

इमाम जाफ़र सादिक (अ) से रिवायत है कि अगर कोई अशूरा के दिन सूरह कुल अल्लाह उहुद को हज़ार बार पढ़े तो अल्लाह तआला उस पर रहम करेगा।

इमाम हुसैन (अ) के हत्यारों को अशूरा पर हजार बार लानत पढ़ने का बड़ा इनाम है।" 

आशूरा के दिन गिरया और ज़ारी करना और मुसीबत जदा लोगों के समान चेहरा बनाना, नंगे सिर और नंगे पांव रहना।

आस्तीनो को ऊपर चढ़ाना, गिरेबान चाक करना।

सारा दिन फ़ाक़े से रहना और अस्र के वक्त फाक़ा शिकनी करना।

क़ातेलाने इमाम हुसैन (अ.) पर लानत भेजना।

सुबह के वक्त जब सूरज चढ़ आए तो सेहरा या छत पर  जाकर आशुर के आमाल बजा लाने की ताकीद है।

आमाले रोज़े आशूरा का तरीका

सबसे पहले मुखतसर जियारते इमाम हुसैन (अ.स.) 

” اَلسَّلاَم ُعَلَیکَ یٰا اَبٰا عَبدِ اللّٰہِ ،اَلسَّلاَمُ عَلَیکَ یَابنَ رَسُولِ اللّٰہِ ، اَلسَّلاَمُ عَلَیکُم ± وَ رَحمَۃُ اللّٰہ وَ بَرَکٰاتُہ “

उसके बाद दो दो रकअत करके चार रकअत नमाज इस तरह पढ़े।

नियतः नमाजे रोज़े आशूर पढ़ता हूं क़ुर्बतन एलल्लाह

पहली रकअत मे अलहमद के बाद क़ुल हुवल्लाह या क़ुल या अय्योहल काफेरून और दूसरी रकअत मे अलहम्द के बाद क़ुल हुवल्लाह, तीसरी रकअत मे अलहमद के बाद सूरा ए एहज़ाब 21 पारे मे सूरा ए एहज़ाब मौजूद है और चौथी रकअत मे हम्द के बाद सूरा ए मुनाफेक़ून  28 वे पारे मे है।

और अगर बताए हुए सूरे याद ना हो तो जो भी याद है उन सूरो को पढ़ सकता है।

नमाज से फारिग होकर अपना चेहरा इमाम हुसैन (अ.स.) की कब्र की तरफ करके आपकी और आपके असहाब की शहादत का ख्याल करके सलाम करे और दरूद भेजे और आपके कातिलो पर लानत भेजे हर लानत के बदले हजार नेकिया लिखी जाएगी और हजार बुराईया खत्म की जाएंगी और जन्नत मे हजार दर्जे बुलंद किए जाएंगे।

लानत का तरीका 

اَللّٰھُمَّ العَن قَتَلَۃَ الحُسَینِ وَ اَصحٰابِہِ

 उसके बाद अपने खड़े होने की जगह से चंद कदम आगे बढ़े और कहे

اِنَّا لِلّٰہِ وَ اِنَّااِلَیہِ رَاجِعُونَ رِضاً بِقَضَائِہِ وَ تَسلِیماً لِاَمرِہ

इसी तरह इस अमल को सात बार करे

उसके बाद गिरया करते हुए अपनी जगह आकर इस तरह पढ़े

आमाले रोज़े आशूरा

उसके बाद हाथ उठाकर दुशमनो का कस्द करके पढ़ा जाए 

आमाले रोज़े आशूरा

आमाले रोज़े आशूरा

उसके बाद सजदे मे जाकर अपना दाहिना गाल मिट्टी पर रखे और इस तरह पढ़े

आमाले रोज़े आशूरा

उसेक बाद आसमान की तरफ सर उठा कर पढ़ा जाए

आमाले रोज़े आशूरा

ज़ियारते आशूरा पढ़े

दुआ ए अलक़मा पढ़े

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