हौजा न्यूज एजेंसी
आज:
Wednesday 14 अप्रैल 2021
बुधवार: 1 रमजानुल मुबारक 1442
इतरे कुरान:
بسم الله الرحـــمن الرحــــیم
وَقَالَت طَّائِفَةٌ مِّنْ أَهْلِ الْكِتَابِ آمِنُوا بِالَّذِي أُنزِلَ عَلَى الَّذِينَ آمَنُوا وَجْهَ النَّهَارِ وَاكْفُرُوا آخِرَهُ لَعَلَّهُمْ يَرْجِعُونَ ﴿آل عمران، 72﴾
अनुवाद: अहले किताब का एक समूह (अपने लोगो से) कहता हैं कि जो मुसलमानों पर नाजिल हुआ है उस पर सुबह के समय इमान ले आओ और शाम के समय इनकार कर दो। शायद (इस चाल के साथ) वो मुसलमान (अपने धर्म से) फिर जाएंगे।
तफसीरे कुरान:
1- सुबह को इमान का इजहार करना और शाम को कुफ्र का इजहार करना, यहूदियों की मोमेनीन के दिलो को हिला देने की चाल।
2- मोमेनीन के दिल हिला देने के लिए यहूदियों की साजिश को उजागर करके, अल्लाह ने उन्हें अपमानित किया।
3- झूठ मूठ इमान का इजहार करके मुसलमानों की श्रेणी में प्रवेश करना शत्रुओं की चाल है।
4- किसी विचारधारा के स्कूल के लोगों को परिवर्तित करने का एक प्रभावी तरीका यह है कि विचारधारा के उस स्कूल के विश्वास को व्यक्त करने से इनकार करना।
5- अल्लाह सर्वशक्तिमान लोगों को किताब के लोगों के पाखंडी प्रयासों और इस्लाम के दुश्मनों के खिलाफ चेतावनी देता है।
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तफ़सीर रहनुमा, सूरह आले-इमरान
इतरे हदीस:
قالَ اللّهُ تَعالى: أَلصَّوْمُ لى وَ أَنَا أَجْزى بِهِ؛
अल्लाह के रसूल (स.अ.व.व.) फरमाते है: अल्लाह तआला ने फरमायाः रोज़ा मेरे लिए है और उसका अजर मै देता हूं।
संक्षिप्त विवरण:
अल्लाह हर अच्छे काम के लिए आदमी को पुरस्कृत करता है, चाहे वह कम हो या ज्यादा।
और रोजे के महत्व के लिए, यह पर्याप्त है कि अल्लाह खुद इसे पुरस्कृत करता है।
इसलिए हर मुसलमान को पूरी नीयत के साथ और सभी शर्तों के साथ रमज़ान के महीने का रोज़ा रखना चाहिए।
वासाएलुश्शिया, भाग 7, पृष्ठ 294, हदीस 15
विशिष्ठ दिन:
ज़ैनुल-आबेदीन, सैय्यदुस्साजेदीन हज़रत अली इब्न अल-हुसैन (अ.स.)
बाकिरे इलमिन्नबी हज़रत मुहम्मद बिन अली (अ.स.)
शिया स्कूल के मुखिया हज़रत जाफर बिन मुहम्मद अल-सादिक (अ.स.)
आज के अज़कारः
- या हय्यो या क़य्यूम (100 बार)
- हसबियल लाहो वा नेमल वकील (1000 बार)
- या मुताआलो (541 बार) दुनिया वा आखेरत की इज्जत के लिए
रूनमा होने वाले वाक़ेयातः
9 हिजरी क़मरी मे जंगे तबूक
65 हिजरी क़मरी मे मरवान बिन हकम की मृत्यु, लानातुल्लाह अलैह, 65 ए.एच.
200 हिजरी क़मरी मे कार्यालय की संरक्षकता (विलायते अहदी ) के लिए इमाम रज़ा (अ.स.) के हाथों पर लोगों की निष्ठा (बैयत)
इमाम हसन मुजतबा के परिवार से सैयदा नफीसा की मौत
आने वाली मुनासबतेः
* 9 दिन बाद हज़रत ख़दीजातुल कुबरा की वफात
* 14 दिन बाद इमाम हसन मुज्तबा (अ.स.) का जन्म दिन
* 17 दिन बाद पहली शबे क़द्र
* 18 दिन बाद इमाम अली (अ.स.) की जरबत का दिन
* 19 दिन बाद दूसरी शबे क़द्र
अल्लाह हुम्मा सल्ले अला मोहम्मदिव वा आले मोहम्मद वा अज्जिल फराजाहुम
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