हौज़ा न्यूज़ एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, निम्नलिखित कथन "ग़ेरारुल हिकम" किताब से लिया गया है। इस रिवायत का पाठ इस प्रकार है:
قال الامام العلی علیہ السلام:
أَلْعَبْدُ حُرٌّ ما قَنَعَ، أَلْحُرُّ عَبْدٌ ماطَمَعَ
अमीरुल मोमेनीन अली (अ.स.) ने फ़रमाया:
यदि गुलाम कनाअत इख्तियार करे, तो वह स्वतंत्र है, और यदि स्वतंत्र व्यक्ति लालची है, तो वह (उस चीज़ का) गुलाम है (जिस चीज़ का लालच कर रहा है)।
ग़ेरारुल हिकम, भाग 1, पेज 113