۱۱ تیر ۱۴۰۳ |۲۴ ذیحجهٔ ۱۴۴۵ | Jul 1, 2024
दिन की हदीस

हौज़ा/इमाम जाफ़र सादिक (अ.स.) ने एक रिवायत मे सदैव मित्रता को बाकी रखने का तरीका बताया है।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, निम्नलिखित कथन को "बिहारुल-अनवार" पुस्तक से बयान किया गया है। इस कथन का पाठ किस प्रकार है।

امام صادق (علیه السلام)

اِذا اَرَدْتَ اَنْ یـَصـْفـُوَلَکَ وُدُّ اَخـیـکَ فـَلا تـُمـازِحـَنَّهُ وَ لا تـُمـارِیـَنَّهُ وَ .لا تـُبـاهـِیـَنَّهُ وَ لا تُشارَنَّهُ

इमाम सादिक़ (अ.स.)
एज़ा अरदता अन यसफ़ोवालका वुद्दो अखिका फ़ला तुमाज़िहन्नहु वला तुमारियन्नहु वला तुबाहियन्नहु वला तुशारन्नहु।
 हज़रत इमाम सादिक़ (अ.स.)
 यदि आप चाहते हैं कि आपकी शुद्ध मित्रता आपके भाई से बाकी रहे,तो  उसका अपमान  और बहस ना करो,उसके सामने घमंड न करो और उसे शर्मिंदा न करो।


बिहारुल अनवार, भाग 78, पेज 291

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