हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार , इस रिवायत को " मजमउल बयान" पुस्तक से लिया गया है। इस रिवायत का पाठ इस प्रकार है:
رسولُ اللّه ِ صلى الله عليه و آله ـ لَمّا سُئلَ عنِ الشِّعرِ ـ : إنّ المُؤمِنَ مُجاهِدٌ بِسَيفِهِ و لِسانِهِ ، و الذي نَفسي بيدِهِ لَكأنّما يَنضِحُونَهم بِالنَّبلِ
हज़रत रसूल अल्लाह (स.अ.व.व.) से जब शेर के बारे में पूछा गया तो आप (स.ल.) ने फरमाया, मोमिन तलवार और अपनी ज़बान के ज़रिए जिहाद करता है
मुझे कसम है उस ज़ात जिस के क़बज़े कुदरत मे मेरी ज़ान है, (मोमिन शोअरा) अपने शेर के ज़रिया शत्रु पर तीर चलाते हैं।
मजमउल बयान:7/326