शुक्रवार 24 सितंबर 2021 - 22:25
अज़ादारी को अल्लाह और उसके रसूल के अनुसार करना चाहिए, अपने मिज़ाज के अनुसार नही, मौलाना तत्हीर हुसैन ज़ैदी

हौज़ा / हमारा विश्वास, सुख और दुःख पवित्र पैगंबर (स.अ.व.व.) और मासूमीन (अ.स.) के अधीन होना चाहिए।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, जामिया बकीयतुल्लाह लाहौर के प्रिंसिपल मौलाना तत्हीर हुसैन जैदी ने जामिया अली मस्जिद में जुमे की नमाज का खुत्बा देते हुए कहा कि अगर हम अल्लाह को अपनी दिनचर्या से हटा दें तो खुद को भी माइनस हो जाएगे। अगर हम अल्लाह और कुरान को नहीं मानते तो चलती फिरती लाशें हैं। जिनके हाथ ताश के पत्ते तो उठाते है पर तिलावत के लिए कुरआन नही उठाते, पैर सिनेमा तक तो जाते हैं लेकिन मस्जिद तक नहीं जाते। ये चलती फिरती लाशे है।  हमारा विश्वास, सुख और दुःख पवित्र पैगंबर (स.अ.व.व.) और मासूमीन (अ.स.) के अधीन होना चाहिए। अज़ादारी को अल्लाह और उसके रसूल के अनुसार करना चाहिए, अपने मिज़ाज के अनुसार नही।

उन्होंने कहा कि मानव जीवन प्रकृति पर आधारित है। इसमें सुख और दुख है। दुख और खुशी मनाना भी एक स्वाभाविक आवश्यकता है, लेकिन अगर यह कुरान के अधीन नहीं है, तो यह एक आपदा बन जाएगा। इमाम जाफर सादिक (अ.स.) कहते हैं हमारी खुशी मे खुश हो जाओ और हमारे दुख मे गमग़ीन। जबकि इमाम के शब्दों का पालन करने का अर्थ है अल्लाह के रसूल और कुरान का पालन करना।

उन्होंने खेद व्यक्त करते हुए कहा कि अज़ादारी को बिगाड़ा जा रहा है। अज़ादारी में कुछ मनगढ़ंत घटनाएं जोड़ी जा रही हैं। मातम को मातम ही रहने दो, हम अपनी मर्जी की बातें नहीं जोड़ सकते।

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