हौजा न्यूज एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, हज़रत फातिमा मासूमा (स.अ.) के वक्ता हुज्जतुल-इस्लाम वल मुस्लेमीन डा. नासिर रफीई ने हज़रत मासोमा के जायरो को संबोधित करते हुए कहा कि इन दिनों के महत्वपूर्ण विषयों में से एक विषय है समाज में मानव समृद्धि और खुशी। जिसके संबंध मे रिवायात के साथ साथ बुजुरगो के शब्दो और कुरान के शब्दों मे विशेष रूप से इसका उल्लेख किया है।
उन्होंने आगे कहा कि इमाम अली (अ.स.) की आज्ञा के अनुसार, विश्वासियों की एक विशेषता यह है कि वे सुबह जल्दी उठते हैं और समृद्ध लोगों के लिए मृत्यु आसान होती है।
हौज़ा के शिक्षक ने कहा कि अहलैबेत (अ.स.) की दुआ अल्लाह से समृद्धि और खुशी के लिए एक अनुरोध था। समृद्धि और खुशी का संबंध घमंड और उपहास से नहीं है, लेकिन सच्ची खुशी उसी आध्यात्मिक समृद्धि है।
डा. रफी ने जोर देकर कहा कि सच्चा सुख एक आध्यात्मिक मूल्य है और पवित्र कुरान गैर-दुःख को संतों के गुणों में से एक मानता है, जबकि गद्दार हमेशा भय और चिंता में रहते हैं।
हरम के वक्ता ने कहा कि आशूरा के दिन इमाम हुसैन (अ.स.) ख़ुशी से शहादत का इंतज़ार कर रहे थे। जैसे-जैसे शहादत का समय नज़दीक आता गया, इमाम (अ.स.) की आध्यात्मिक ख़ुशी बढ़ती जाती और ऐसा होता।
उन्होंने कहा कि अहलेबैत (अ.स.) द्वारा सुनाई गई रिवायात के अनुसार, पैदल चलना, घुड़सवारी करना, तैरना, हरे बागानों और पेड़ों को देखना, साफ पानी पीना, अपने दाँत साफ़ करना, दोस्तों के साथ बाहर जाकर बात करना स्पष्ट खुशी और खुशी का एक कारण है।
मुस्तफा विश्वविद्यालय के शिक्षक ने कहा कि सोशल मीडिया पर अकादमिक और पारिवारिक समूहों के गठन और विभिन्न विषयों पर चर्चा से भी समृद्धि आ सकती है लेकिन दुर्भाग्य से ऐसा उपयोग सोशल मीडिया से नहीं हो रहा है।