۱۳ تیر ۱۴۰۳ |۲۶ ذیحجهٔ ۱۴۴۵ | Jul 3, 2024
علامہ راجہ ناصر

हौज़ा/ किसी के अंदर इतनी ताकत नहीं है कि हम से मज़लूमें कर्बला का ग़म को छीन ले,बच्चे, बुजुर्ग, युवा, महिलाएं सभी हुसैनी भावना के साथ सामने आएंगे और इमाम से अपनी भक्ति और प्यार का इज़हार करेंगे। हमने जो रास्ता चुना है, वह रास्ता नवीयो का है।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार , इस्लामाबाद,
मजलिसे वहदते मुस्लिमीन पाकिस्तान के केंद्रीय महासचिव अल्लामा राजा नासिर अब्बास जाफ़री ने अरबाईने इमाम हुसैन (अ.स.) और कर्बला के शहीदों के अवसर पर अपने संदेश में कहा कि इमाम के ज़ु़ल्म का मातम न होता तो धर्म की निशानी मिट जाती।यज़ीदीवाद का राक्षस धर्म को निगल जाता।
इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम ने अपना बलिदान देकर दीन की हिफाज़त की इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम से मोहब्बत करना यानी रसूल अल्लाह से मोहब्बत करना है रसूल अल्लाह से मोहब्बत करना यानी अल्लाह से मोहब्बत करना है यही वजह है जिसकी वजह से हुसैन का ग़म आज तक नहीं मिटा सका कोई और एक कयामत तक बाकी रहेगा,
शिया सुन्नी प्रामाणिक पुस्तकों में कर्बला की घटना के बाद स्वर्ग और पृथ्वी से रक्तपात के संदर्भ हैं।
उन्होंने कहा कि अरबाइन इस तरह से मनाया जाए की नबी स.ल.व.व. हमसे राज़ि और खुश हो जाए
और यह उस वक्त होगा जब हम इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम से मोहब्बत करें
किसी के अंदर इतनी ताकत नहीं है कि हम से मज़लूमें कर्बला का ग़म को छीन ले,बच्चे, बुजुर्ग, युवा, महिलाएं सभी हुसैनी भावना के साथ सामने आएंगे और इमाम से अपनी भक्ति और प्यार का इज़हार करेंगे। हमने जो रास्ता चुना है, वह रास्ता नवीयो का है।

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