۱ آذر ۱۴۰۳ |۱۹ جمادی‌الاول ۱۴۴۶ | Nov 21, 2024
मौलाना ग़ाफ़िर

हौज़ा / इमाम हुसैन (अ.स.) द्वारा यज़ीद की बैअत करने का अर्थ था कि यज़ीद के सभी काले करतूतो पर पर्दा डाल दिया जाए। अगर इमाम हुसैन ने बैअत कर ली होती, तो कोई भी मुसलमान यज़ीद पर उंगली उठाने की हिम्मत नहीं करता क्योंकि जब इमाम वक़्त ने बैअत कर ली, तो क्या है लोगों का विरोध करने का अधिकार इमाम हुसैन यज़ीद की बैअत करके उसके काले करतूनतो का समर्थन नहीं करना चाहते थे। यही कारण था कि इमाम हुसैन ने बैअत करने से इनकार कर दिया।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली में खम्सा मजलिस की आखिरी मजलिस को संबोधित करते हुए, हुज्जतुल इस्लाम वल-मुस्लेमीन मौलाना सैयद ग़ाफ़िर रिज़वी साहब किबला फलक छौलसी ने यज़ीद की बैअत पर इमाम हुसैन के लगातार इनकार पर प्रकाश डाला। प्रश्नकर्ता क्यों पूछता है कि इमाम हुसैन ने बैअत करने से इनकार क्यों किया? वह यह क्यों नहीं पूछते कि इमाम हुसैन मना कर रहे हैं तो यज़ीद बैअत लेने पर जोर क्यों देता हैं? उपरोक्त प्रश्न के उत्तर में मौलाना ने कहा: वास्तव में, यदि हम यज़ीद के इसरार और इमाम हुसैन के इनकार को एक साथ देखें, तो जो सबब यज़ीद के इसरार मे है वही सबब इमम हुसैन के इंकार मे नजर आएगा, अंतर केवल इंकार और पुष्टि का है। यज़ीद चाहता था कि मुहम्मद का धर्म गायब हो जाए और हुसैन चाहते थे कि मुहम्मद का धर्म शाश्वत हो।

मौलाना ग़ाफ़िर रिज़वी ने आगे कहा: इमाम हुसैन (अ.स.) द्वारा यज़ीद की बैअत करने का अर्थ था कि यज़ीद के सभी काले करतूतो पर पर्दा डाल दिया जाए। अगर इमाम हुसैन ने बैअत कर ली होती, तो कोई भी मुसलमान यज़ीद पर उंगली उठाने की हिम्मत नहीं करता क्योंकि जब इमाम वक़्त ने बैअत कर ली, तो क्या है लोगों का विरोध करने का अधिकार इमाम हुसैन यज़ीद की बैअत करके उसके काले करतूनतो का समर्थन नहीं करना चाहते थे।

मौलाना ने अल्लामा मौदुदी के हवाले से कहा: "सवाल यह नहीं है कि इमाम हुसैन ने बैअत क्यों नहीं की, सवाल यह है कि जब इमाम हुसैन ने बैअत नही की, तो पूरे मुस्लिम उम्मा ने बैअत कैसे की!" पता नहीं था कि उस समय के इमाम हुसैन है? क्या लोग नहीं जानते थे कि हुसैन पैगंबर के पोते हैं? सब कुछ जानते हुए, मुस्लिम उम्मा ने इतनी बड़ी गलती क्यों की कि उसने एक पापी के प्रति बैअत की? इसका मतलब यह हुआ कि ये लोग उस समय के इमाम को नहीं जानते थे।

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