हौज़ा न्यूज़ एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, निम्नलिखित कथन "बिहारुल अनवार" पुस्तक से लिया गया है। इस कथन का पाठ इस प्रकार है:
قال الامیرالمومنین علیه السلام:
مَنْ أيْقَنَ أنّهُ يُفارِقُ الأحبابَ، ويَسكُنُ التُّرابَ، ويُواجِهُ الحِسابَ، ويَسْتَغْنِي عَمّا خَلَّفَ، ويَفْتَقِرُ إلى ما قَدَّمَ، كانَ حَرِيّا بِقِصَرِ الأملِ وطُولِ العَملِ
हज़रत अमीरूल मोमेनीन (अ.स.) ने फरमाया:
जिसको विश्वास हो कि वह एक दिन अपने दोस्तों से अलग हो जाएगा, धूल और मिट्टी उसका ठिकाना होगा, उसे हिसाब किताब का सामना करना पड़ेगा, जो चीज़ वह छोड़ कर जा रहा है उसे उसकी आवश्यकता नही होगी और जो कुछ उसे आगे भेजना है उसे केवल उसी चीज की आवश्यकता होगी तो उसके लिए बेहतर यह है कि वह अपनी लालसाओ को कम करे और अमल को अधिक करे।
बिहारुल अनवार: भाग 31, पेज 167, हदीस 73