हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार , इस रिवायत को " बिहारूल अनवार" पुस्तक से लिया गया है। इस कथन का पाठ इस प्रकार है:
قال الامام الصادق علیہ السلام:
مَن لَم يُغفَرْ لَهُ في شهرِ رمضانَ لَم يُغفَرْ لَهُ إلى مِثلِهِ مِن قابِلٍ إلاّ أن يَشهَدَ عَرَفَةَ
हज़रत इमाम जाफर सादिक अ.स. ने फरमाया:
जो माहे रमज़ान में बख्शा ना जाए तो आइंदा माहे रमज़ान तक इसकी बख्शीश नहीं होगी, हां मगर ऐ कि वह अरफा(9 ज़िल हिज्जा) को बारगाहे खुदा बंदी में हाजिर हो.
बिहारूल अनवार,96/6/342