हौज़ा न्यूज़ एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, निम्नलिखित रिवायत "बिहारुल अनवार" किताब से ली गई है। इस रिवायत का पाठ इस प्रकार है:
قال الامیر المومنین علیه السلام:
إذا عاتَبتَ الحَدَثَ فَاترُك لَهُ مَوضِعا مِن ذَنبِهِ لِئلاّ يَحمِلَهُ الإخراجُ عَنِ المُكابَرَةِ
हज़रत अमीरुल मोमेनीन अली (अ.स.) ने फरमाया:
जब भी तुम किसी युवक को डांटो, तो उसके पाप से माफी मांगने की गुंजाइश बाक़ी रखो ताकि वह मांफी मांगने का रास्ता न होने के कारण बगावत पर न उतर आए।
बिहारूल अनवार, भाग 20, पेज 333
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