۱۳ تیر ۱۴۰۳ |۲۶ ذیحجهٔ ۱۴۴۵ | Jul 3, 2024
दिन की हदीस

हौज़ा / हज़रत अमीरुल मोमेनीन (अ.स.) ने एक रिवायत में युवाओं को प्रशिक्षण देने के लिए एक बहुत ही उपयोगी बिंदु की ओर इशारा किया है।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, निम्नलिखित रिवायत "बिहारुल अनवार" किताब से ली गई है। इस रिवायत का पाठ इस प्रकार है:

قال الامیر المومنین علیه السلام:

إذا عاتَبتَ الحَدَثَ فَاترُك لَهُ مَوضِعا مِن ذَنبِهِ لِئلاّ يَحمِلَهُ الإخراجُ عَنِ المُكابَرَةِ

हज़रत अमीरुल मोमेनीन अली (अ.स.) ने फरमाया:

जब भी तुम किसी युवक को डांटो, तो उसके पाप से माफी मांगने की गुंजाइश बाक़ी रखो ताकि वह मांफी मांगने का रास्ता न होने के कारण बगावत पर न उतर आए।

बिहारूल अनवार, भाग 20, पेज 333

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