हौज़ा न्यूज़ एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, मोमिनिन कानपुर द्वारा 5, 6 और 7 नवंबर को कानपुर/तंजीमुल मकातिब के तत्वावधान में तीन दिवसीय धार्मिक शिक्षा सम्मेलन का आयोजन किया गया था।
आज, शुक्रवार, 5 नवंबर को दोपहर 2 बजे कमला गेस्ट हाउस में पहला सत्र आयोजित किया गया, जिसकी शुरुआत जामिया इमामिया के छात्र मौलवी सैयद मैसम रज़ा मूसवी ने पवित्र कुरान का पाठ करते हुए की।
मकतबे इमामिया नंदुरा कोशांबी, मकतबे इमामिया अमजदिया और मकतबे इमामिया मछरिया आवास विकास कानपुर के विद्यार्थियों ने शैक्षिक प्रदर्शन किया।
शोरा ए इकराम मौलाना क़ायम रज़ा मुबारकपुरी, जामिया इमामिया के उपदेशक, जनाब मायल चंदौलवी और जनाब ज़मीर भूपतपुरी ने धार्मिक और शैक्षिक जागरूकता कविताएँ प्रस्तुत कीं और बारगाहे अहलेबैत (अ.स.) मे नजराना ए अक़ीदत पेश किया।
जामिया इमामिया के उपदेशक मौलाना सैयद हैदर अब्बास रिज़वी साहब ने पवित्र पैगंबर (स.अ.व.व.) की हदीस, पिता पर संतान का अधिकार है कि उसाक अच्छा नामकरण करे, प्रशिक्षण करे और बालिग होने के पश्चात उसका विवाह कराए सुनाते हुए बच्चो के प्रशिक्षण पर भाषण दिया।
अंत में मौलाना सैयद जुल्फिकार हैदर साहिब आज़मी ने सभा को संबोधित किया। मौलाना ने सूरह बनी इस्राईल की 23 वीं आयत "और आपके रब ने हुक्म किया है कि आप किसी और की इबादत ना करो और अपने माता-पिता के साथ अच्छा व्यवहार करो" कहते हुए संबोदित किया और इमामिया स्कूलों के छात्रों के शैक्षिक प्रदर्शन की और छात्रो के माता-पिता और शिक्षकों की प्रशंसा की।
मौलाना सैयद जुल्फिकार हैदर साहिब ने कहा: अगर जीविका हलाल है तो धर्म का पालन होगा, हलाल और हराम का ध्यान रखा जाएगा लेकिन अगर पेट हराम धन से भरा है तो धर्म का पालन संभव नहीं है, यहाँ तक कि इमाम हुसैन जैसे मासूम इमाम के शब्द भी समझ मे नहीं आएंगे।