हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार , इस रिवायत को "नहजुल बलाग़ा " पुस्तक से लिया गया है। इस कथन का पाठ इस प्रकार है:
:قال الامیر المومنین علیه السلام
وَ اكْظِمِ الغَيْظَ، وَ تَجَاوَزْ عِنْدَ الْمَقْدَرَةِ، وَ احْلُمْ عِنْدَ الغَضَبِ، وَ اصْفَحْ مَعَ الدَّولَةِ، تَـكُنْ لَـكَ العاقِبَةُـكُنْ لَـكَ العاقِبَةُـكَ العاقِبَةُ
हज़रत इमाम अली अलैहिस्सलाम ने फरमाया:
गुस्से को पी जाना, कुदरत रखते हुए भी क्षमा कर देना, गुस्से के वक्त धीरज से काम लेना,और बदला लेने की शक्ति होने के बावजूद क्षमा कर देना,मनुष्य के अच्छे कर्मों के चार तरीके हैं।
नहजुल बलाग़ा,69