हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार, इस रिवायत को " नहजुल बलाग़ा" पुस्तक से लिया गया है। इस कथन का पाठ इस प्रकार है:
:قال الامیر المومنین علیه السلام
إنَّ الفِتَنَ إذا أقبَلَت شَبَّهَت، و إذا أدبَرَت نَبَّهَت، یُشَبِّهنَ مُقبِلاتٍ و یُعرَفنَ مُدبِراتٍ، إنَّ الفِتَنَ تَحومُ کالرِّیاحِ یُصِبنَ بَلَدا و یُخطِئنَ اُخری
हज़रत इमाम अली अलैहिस्सलाम ने फरमाया:
याद रखो! फितना जब आता है तो लोगों को
संदेह में डाल देता हैं, और जब वे जाता हैं, तो वे सावधान करके जाता है।यह आते वक्त तो पहचाने नहीं जाते लेकिन जब जाने लगते हैं तो पहचान लिए जाते हैं, हवाओं की तरह चक्कर लगाते रहते हैं, किसी शहर को अपने कब्जे में ले लेते हैं तो किसी को छोड़ देते हैं।
नहजुल बलाग़ा, खुत्बा नं.۹۳