हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार , इस रिवायत को "नहजुल बलाग़ा" पुस्तक से लिया गया है। इस रिवायत का पाठ इस प्रकार है:
:قال الامام العلی علیه السلام
مَا المُجَاهِدُ الشَّهِیدُ فِی سَبِیلِ اللَّهِ بِأَعْظَمَ أَجْراً مِمَّن قَدَرَ فَعَفَّ لَکادَ العَفِیفُ أَنْ یکونَ مَلَکاً مِنَ الْمَلَائِکةِ
हज़रत इमाम अली अलैहिस्सलाम फ़रमाया:
ख़ुदा की राह में शहीद होने वाले आदमी का अज्र उस आदमी से ज़्यादा नहीं है जो ग़ुनाह पर ताकत और क़ुदरत रखते हुए भी गुनाह नहीं करता, मानों की इंसान पाक दामन फरिश्तों में से एक फरिश्ता हैं।
नहजुल बलाग़ा, हिक्मत 474