हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार , इस रिवायत को " नहजुल बलाग़ा" पुस्तक से लिया गया है। इस कथन का पाठ इस प्रकार है:
قال الامام العلی علیہ السلام:
مـَا الُْمجَاهِدُ الشَّهيدُ فِى سَبِيلِ اللّهِ بِاءَعْظَمَ اءَجْراً مِمَّنْ قَدَرَ فَعَفَّ؛ لَكَادَ الْعَفيفُ ان يَكُونَ مَلَكاً مِنَ الْمَلاَئِكَةِ
हज़रत इमाम अली अलैहिस्सलाम ने फरमाया:
अल्लाह की राह में शहीद मुजाहिद का अज्र उस शख्स से ज़्यादा नहीं है जो गुनाह की ताकत रखता हो, लेकिन इससे बचें। यह ऐसा है जैसे मनुष्य अल्लाह के फरिश्तों में से एक फरिश्ता है।
नहजुल बलाग़ा,हदीस 466,पेंज 1303